पितृ पक्ष में किसी की मृत्यु होना शुभ या अशुभ (सौ.सोशल मीडिया)
Pitru paksha me mrityu hona: हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष यानी श्राद्ध पक्ष का समय बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। जो पितरों को समर्पित होता है, जिसे श्राद्ध भी कहते है। इस समय पितृ पक्ष चल रहा है और 15 दिनों की इस अवधि में लोग अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि करते हैं। कहा जाता है कि, पितृ पक्ष में पितर 15 दिनों के लिए धरती पर आते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते है।
हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक, पितृ पक्ष में जन्म लेने वाले बच्चे बहुत भाग्यशाली होते है। ऐसे में लोगों के मन में सवाल आता है कि पितृ पक्ष में अगर मृत्यु हो तो क्या होता है। आइए आपको बताएं कि पितृ पक्ष में किसी की मृत्यु होने पर इसका क्या मतलब है?
ज्योतिष विशेशज्ञ की मानें तो, पितृ पक्ष में प्राकृतिक मृत्यु को शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में मृत्यु होने पर व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष मिलता है और वह स्वर्ग में स्थान प्राप्त करती है। आगे कहते है पितृ पक्ष में मृत्यु होना अच्छे कर्मों का फल माना जाता है और उस पर पितरों की कृपा बनी रहती है।
हालांकि, पितृ पक्ष में अकाल मृत्यु होने पर अंतिम संस्कार के नियम सामान्य से अलग होते हैं और इनका श्राद्ध तथा पिंडदान विशेष स्थानों पर करने की जरूरत होती है।
जो लोग पितृ पक्ष में नैसर्गिक यानी प्राकृतिक मृत्यु प्राप्त करते हैं, उन्हें मोक्ष मिलता है और उन्हें जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।
पितृ पक्ष में होने वाली मृत्यु को शुभ माना जाता है, क्योंकि यह आत्मा को बैकुंठ धाम में स्थान दिलाती है।
जिस घर में पितृ पक्ष के दौरान मृत्यु होती है, उस घर पर पितरों की कृपा बनी रहती है और बाधाएं दूर होती है।
कहा जाता है कि, अगर पितृ पक्ष में किसी की अकाल मृत्यु होती है, तो उसे अशुभ माना जाता है।
पितृ पक्ष में अकाल मृत्यु होने की स्थिति में अंतिम संस्कार के नियम सामान्य मृत्यु से अलग होता है।
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कहते है अगर किसी की पितृ पक्ष के दौरान अकाल मृत्यु हो जाए, तो उसका घर पर तर्पण या श्राद्ध नहीं करना चाहिए। इसके बजाय, गया जाकर किसी जानकार पंडित से पिंडदान करवाना आवश्यक होता है, जिससे आत्मा को मुक्ति मिल सके।