गुप्त नवरात्रि (सौ.सोशल मीडिया)
आज यानी 26 जून से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है, और यह पर्व साल में चार बार मनाया जाता है। इनमें से दो प्रमुख नवरात्रि चैत्र और शारदीय हैं, जिन्हें बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
वहीं, दो गुप्त नवरात्रि होती हैं, जिनका महत्व विशेष इच्छाओं की पूर्ति और गुप्त सिद्धियों के लिए होता है। इनकी पूजा गोपनीय तरीके से की जाती है। आषाढ़ मास में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि इन्हीं में से एक है। आइए जानते हैं गुप्त नवरात्रि की सही तिथि, मुहूर्त और पूजा का महत्व
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025 26 जून से शुरू हो रही है और इसका समापन 04 जुलाई को होगा। इस बार गुप्त नवरात्रि पूरे नौ दिनों तक रहेगी। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 26 जून को सुबह 05:25 से 06:58 बजे तक या अभिजीत मुहूर्त में 11:56 बजे से 12:52 बजे तक रहेगा।
ज्योतिषयों के अनुसार, इस वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि का आरंभ 26 जून, गुरुवार को हो रहा है और इसका समापन 4 जुलाई, शुक्रवार को नवमी तिथि के साथ होगा। इस नवमी को भड़ल्या नवमी के नाम से भी जाना जाता है। कलश स्थापना के लिए आज का शुभ समय प्रातः 5:25 से 6:58 बजे तक है। यदि इस समय में स्थापना संभव न हो, तो अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 11:56 से 12:52 बजे तक कलश स्थापना की जा सकती है।
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वसंत और शारदीय नवरात्रि गृहस्थों और सामान्य जनों के लिए है परंतु गुप्त नवरात्रि संतों और साधकों को लिए है। यह साधना की नवरात्रि है उत्सव की नहीं। इसलिए इसमें खास तरह की पूजा और साधना का महत्व होता है।
यह नवरात्रि विशेष कामना हेतु तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए होती है। गुप्त नवरात्रि में विशेष पूजा से कई प्रकार के दुखों से मुक्ति पाई जा सकती है। अघोर तांत्रिक लोग गुप्त नवरात्रि में महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए उपासना करते हैं। यह नवरात्रि मोक्ष की कामना से भी की जाती है।