
अस्पताल में भर्ती महिला (सोर्स: सोशल मीडिया)
Farmers Hunger Strike In Chandrapur: चंद्रपुर जिले के ब्रह्मपुरी क्षेत्र में गोसेखुर्द दाहिनी नहर से गर्मी की फसलों के लिए पानी की मांग को लेकर किसानों का आंदोलन उग्र होता जा रहा है। पिछले 15 दिसंबर से जारी इस भूख हड़ताल के चौथे दिन आंदोलनकारी महिलाओं की स्थिति चिंताजनक हो गई। भूख हड़ताल पर बैठीं सरपंच दीक्षा जयदेव भजनकर और सीताबाई रामचंद्र नागोसे की तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद उन्हें तत्काल ब्रह्मपुरी के ग्रामीण अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
गोसेखुर्द परियोजना को विदर्भ के किसानों के लिए जीवनदायिनी माना गया था। किसानों को उम्मीद थी कि इस नहर से पानी मिलने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी और वे साल में दो बार फसलें ले सकेंगे। लेकिन दुर्भाग्यवश, तीस-चालीस साल बीत जाने के बाद भी परियोजना का कार्य अधूरा है। विशेष रूप से दाहिनी नहर से जुड़े गांवों को गर्मियों की फसलों के लिए पानी नहीं मिल रहा है, जिससे किसानों पर लिया गया कर्ज और आर्थिक तंगी का बोझ बढ़ता जा रहा है।
प्रशासन और जनप्रतिनिधियों द्वारा बार-बार ज्ञापन सौंपने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने पर, इस बार महिलाओं ने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मोर्चा संभाला है। मौशी, खंडाला, कहाली, बोडेगांव, लाखापुर और चंदली सहित 11 से अधिक गांवों की महिलाओं ने ‘महिला किसान संघर्ष समिति’ का गठन कर 15 दिसंबर से अनशन शुरू किया। किसानों का आरोप है कि उनकी गर्मी की फसलें पानी के अभाव में नष्ट होने की कगार पर हैं, लेकिन सरकार कुंभकर्णी नींद सोई हुई है।
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आंदोलन के चौथे दिन दो महिलाओं के अस्पताल पहुंचने के बाद भी प्रशासन या सरकार का कोई प्रतिनिधि आंदोलनकारियों से मिलने नहीं पहुंचा। इस संवेदनहीनता पर किसान नेता विनोद झोडगे ने कड़ी आपत्ति जताते हुए चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही पानी छोड़ने का निर्णय नहीं लिया गया, तो इस आंदोलन को और अधिक तीव्र और हिंसक रूप दिया जाएगा।
अनशनकारियों ने स्पष्ट किया है कि जब तक गोसेखुर्द नहर से पानी की गारंटी नहीं मिलती, तब तक उनका यह संघर्ष जारी रहेगा। फिलहाल, अस्पताल में भर्ती महिलाओं की स्थिति पर डॉक्टरों की टीम नजर बनाए हुए है, वहीं आंदोलन स्थल पर तनावपूर्ण शांति व्याप्त है।






