सीएम भजनलाल, फोटो- सोशल मीडिया
SMS हॉस्पिटल आग लगने से मरने वाले 8 लोगों में 3 महिलाएं भी शामिल हैं। आग शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी बताई जा रही है। आग आईसीयू के स्टोर में लगी थी, जहां पेपर, ब्लड सैंपलर ट्यूब और अन्य मेडिकल सामान रखा हुआ था। हादसे के समय आईसीयू में 11 मरीज थे, जबकि पास के आईसीयू में 13 अन्य मरीज भर्ती थे।
राज्य सरकार ने इस अग्निकांड की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। जांच के लिए 6 सदस्यीय कमेटी गठित की गई है, जो पूरी घटना की रिपोर्ट सौंपेगी। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा देर रात अस्पताल पहुंचे और हालात का जायजा लिया। सुबह से ही कई नेता मौके पर पहुंचे और मृतकों के परिजनों से जानकारी ली।
सरकार ने मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है। इसके अलावा, घायल मरीजों का मुफ्त इलाज सुनिश्चित किया गया है। घटना के 20 घंटे बाद, एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुधीर भाटी और ट्रॉमा सेंटर प्रभारी डॉ. अनुराग धाकड़ को उनके पद से हटा दिया गया। अस्पताल का चार्ज अब डॉ. मृणाल जोशी को सौंपा गया है। सरकार ने अस्पताल में फायर सेफ्टी की जिम्मेदारी निभा रही एजेंसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश भी दिए हैं।
हादसे के बाद मृतकों के परिजनों ने अस्पताल के बाहर धरना दिया। परिजनों ने दोपहर तीन बजे तक शव लेने से इनकार किया। बातचीत के बाद वे शव लेने के लिए तैयार हुए। इसी बीच, हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के कार्यकर्ताओं ने अस्पताल के बाहर नारेबाजी की। सरकार और स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे युवकों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
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अग्निकांड के बाद एसएमएस अस्पताल प्रशासन ने ट्रॉमा सेंटर को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। फायर सेफ्टी सिस्टम की जांच जारी है। अस्पताल में मरीज और परिजन अभी भी हादसे के डर और तनाव में हैं। प्रशासन ने कहा है कि भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए सुरक्षा मानकों को और सख्त किया जाएगा।