सर्वपल्ली राधाकृष्णन
Vice Presidential Election: राजधानी दिल्ली में उपराष्ट्रपति चुनाव खत्म हो गया है। चुनाव परिणाम भी आ गए हैं। सीपी राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति बन गए हैं। उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सर्वोच्च पद होता है। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुसार सबसे अहम पद प्रधानमंत्री का होता है, लेकिन सर्वोच्च पद राष्ट्रपति का होता है, उसके बाद उपराष्ट्रपति फिर प्रधानमंत्री का पद आता है। इन्हीं तीन कंधों पर देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को आगे बढ़ाने और बनाए रखने की प्रमुख रूप से जिम्मेदारी होती है।
आम तौर पर उपराष्ट्रपति का पूरा कार्यकाल राज्यसभा के संचालन में बीत जाता है, लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था में उथल-पुथल होते रहते हैं। इसलिए उपराष्ट्रपति का पद काफी अहम होता है। राष्ट्रपति की गैरमौजूदगी में उपराष्ट्रपति ही राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारियां संभालता है। आज देश को नए उपराष्ट्रपति मिले हैं। ऐसे में हम देश के एक ऐसे उपराष्ट्रपति के कार्यकाल जिक्र करेंगे, जो उपराष्ट्रपति से राष्ट्रपति बने लेकिन उनका कार्यकाल ट्रेजडी से भरा रहा। हालांकि एक उपराष्ट्रपति के रूप में सबसे सफल कार्यकाल भी माना जाता है।
हम बात कर रहे हैं देश के पहले उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन की। उन्हें देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने काफी पसंद करते थे। शायद इसलिए एक नॉन पॉलिटिकल व्यक्ति को उन्होंने उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया। नेहरू ने अपनी सगी बहन विजयलक्ष्मी पंडित को दरकिनार करके सर्वपल्ली को चुना था। पूर्व के इस फैसले ने सभी कांग्रेसियों को हैरत में डाल दिया था। हालांकि इसे भाई बहन का प्यार कहें या कांग्रेस के सियासी संस्कार कहें, विजयलक्ष्मी पंडित ने नेहरू के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कांग्रेस के मीटिंग में सर्वपल्ली राधाकृष्णन का समर्थन किया था।
सर्वपल्ली राधाकृष्णन हिंदू विचारक, दार्शनकि और शिक्षविद थे। उस समय के सभी सांसद उनको काफी पसंद करते थे। ऐसा एक भी मौका नहीं जब उनपर विपक्ष ने किसी प्रकार आरोप लगाया हो। वह पक्ष और विपक्ष को एक साथ लेकर चलते थे। राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति थे। उन्हें दो कार्यकाल मिले थे। उन्होंने उपराष्ट्रपति के तौर पर 1952 से 1962 तक काम किया। इसके बाद वे राष्ट्रपति चुने गए। 1962 से 1967 तक राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारियां संभाली।
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उपराष्ट्रपति से राष्ट्रपति तक के कार्यकाल में देश बहुत से सियासी उथल-पुथल हुए। सर्वपल्ली राधाकृष्णन इकलौते उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति हैं, जिनके कार्यकाल में देश ने दो युद्ध लड़ा। दो प्रधानमंत्रियों की मौत हुई। साथ ही उन्होंने 2 कार्यकारी प्रधानमंत्रियों को शपथ दिलाई थी। राधाकृष्णन जब तक उपराष्ट्रपति रहे तब तक सबकुछ ठीक चल रहा था। मई 1962 में वे राष्ट्रपति बने और अक्टूबर के महीने में चीन से जंग हो गई।
जंग खत्म होने के कुछ महीने बाद 27 मई 1964 देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू की मौत हो गई। इसके बाद गुलजारी लाल नंदा को कार्यकारी प्रधानमंत्री बनाया गया। बाद में लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई। शास्त्री ने जैसे कुर्सी संभाली उसके कुछ महीने बाद पाकिस्तान से अगस्त 1965 में पाकिस्तान से जंग हो गई।
शास्त्री के नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तानी फौज धूल चटा दी। इसके बाद दोनों देशों के बीच एक संधि हुई। जिसे ताशकंद समझौते के नाम से जाना जाता है। इस समझौते के लिए ताशकंद गए पीएम लाल बहादुर शास्त्री की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। लाल बहादुर शास्त्री की मौत के बाद इंदिरा गांधी को सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कार्यकारी प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई थी।