हिंसा के बाद नेपाल में राजनीतिक संकट (फोटो- सोशल मीडियाः
Nepali Gen Z Protest: नेपाल में इन दिनों सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा अपने चरम पर है। राजधानी काठमांडू की सड़कों पर हजारों छात्र सरकार के उस फैसले का विरोध कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने राष्ट्र विरोधी एजेंडा चलाने के आरोप में 26 सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार उनकी आवाज दबाने के लिए ऐसा कदम उठा रही है।
नेपाल में स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि प्रदर्शनकारियों ने संसद, राष्ट्रपति भवन और सुप्रीम कोर्ट को आग के हवाले कर दिया है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली समेत देश के राष्ट्रपति और कई बड़े मंत्री अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अब नेपाल का अगला प्रधानमंत्री कैसे चुना जाएगा? नेपाल में प्रधानमंत्री चुने जाने को लेकर क्या नियम हैं और क्या हिंसा के इस माहौल में जनता किसी एक नाम पर सहमत हो पाएगी?
नेपाल में 2015 में लागू हुए नए संविधान के मुताबिक, प्रधानमंत्री चुने जाने की प्रक्रिया बहुत हद तक भारत जैसी है। जहां जनता सीधे प्रधानमंत्री को नहीं चुनती है, बल्कि वे उन जन प्रतिनिधियों को चुनती है, जो आगे चलकर प्रधानमंत्री का चुनाव करते हैं। नेपाल की संसद में दो सदन होते हैं प्रतिनिधि सभा और राष्ट्रीय सभा। प्रतिनिधि सभा दो हिस्सों में बंटी होती है सदस्य प्रत्यक्ष चुनाव और सदस्य समानुपातिक प्रणाली के तहत चुने जाते हैं। वहीं, राष्ट्रीय सभा में कुल 59 सीटें होती हैं।
प्रत्यक्ष चुनाव के तहत 165 सदस्य चुनकर आते हैं, जिन्हें जनता सीधे वोट देकर चुनती है। वहीं समानुपातिक प्रणाली के जरिए 110 सदस्य चुने जाते हैं। दोनों मिलाकर प्रतिनिधि सभा में कुल 275 सदस्य होते हैं। किसी भी व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनने के लिए कम-से-कम 138 सांसदों का समर्थन चाहिए होता है। लेकिन इस समय जनता पहले की सरकारों से नाराज़ है, और साथ ही वहां के राजनीतिक हालात ऐसे नहीं हैं कि प्रशासनिक प्रक्रिया के जरिए प्रधानमंत्री का चुनाव करवाया जा सके।
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नेपाल में प्रदर्शन कर रहे लोग काठमांडू के मेयर बालेन शाह को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाए जाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन यह इतना आसान नहीं है, क्योंकि बालेन किसी राजनीतिक पार्टी से संबंध नहीं रखते हैं और न ही उनके पास प्रधानमंत्री बनने के लिए ज़रूरी बहुमत है। ऐसे में नेपाल की सेना, बांग्लादेश की तरह, सत्ता की कमान अपने हाथों में लेकर किसी भी नेता को अंतरिम प्रधानमंत्री बना सकती है या फिर खुद ही शासन चला सकती है।