राजुल पटेल व अनिल परब (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने से नाराज पूर्व नगरसेविका राजुल पटेल ने सोमवार को उद्धव की शिवसेना छोड़ दी और वह शिवसेना शिंदे गुट में शामिल हो गई। इस दौरान उन्होंने मुंबई के जोगेश्वरी में बेहरामबाग स्थित शिवसेना शाखा क्रमांक 61 में राजुल पटेल द्वारा ताला जड़ने के बाद शिवसेना (यूबीटी) और राजुल पटेल समर्थकों की बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई।
सोमवार की रात शाखा के बाहर जुटे शिवसेना (यूबीटी) के कार्यकर्ताओं ने राजुल और उपमुख्यमंत्री शिंदे के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान शिवसेना (यूबीटी) के नेता और विभाग प्रमुख अनिल परब भी मौके पर मौजूद थे। इस दौरान अनिल परब ने राजुल पटेल को 24 घंटे के अंदर शाखा खाली करने का अल्टीमेटम देते हुए शाखा पर अपना भी ताला जड़ दिया है।
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद के शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं में हताशा बढ़ रही है। राज्यभर में निकट भविष्य में होनेवाले मुंबई, ठाणे मनपा सहित अन्य राज्यों के निकाय चुनावों से पहले पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की शिवसेना में भगदड़ मच गई है।
सुरक्षित राजनीतिक भविष्य की चाह में शिवसेना (यूबीटी) के नेता उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना या फिर बीजेपी का दामन थाम रहे हैं। सोमवार को इसी वजह से उद्धव को कई झटके लगे। इस दौरान मुंबई में शिवसेना (यूबीटी) की पूर्व नगरसेविका राजुल पटेल ने उद्धव को दोहरा झटका दिया है।
शिवसेना (यूबीटी) छोड़कर शिंदे की शिवसेना में जाने के साथ ही उन्होंने जोगेश्वरी स्थित उद्धव गुट की शाखा पर अपना ताला जड़ दिया। इससे शिंदे गुट और उद्धव गुट में घमासान मच गया है। क्षेत्र में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के ठाणे जिले में शाखा को लेकर शिंदे गुट और उद्धव गुट के बीच कई बार टकराव की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है। लेकिन मुंबई में पहली बार किसी शाखा के कारण दोनों गुट आमने सामने आए हैं। राजुल के इस कदम से उद्धव गुट में हड़कंप मच गया है।
शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं को अब दूसरी शाखाओं पर भी इस तरह के विवाद बढ़ने का डर सताने लगा है। इस वजह से उद्धव के संकट मोचक कहे जाने वाले अनिल परब रविवार को मैदान में आ गए। उन्होंने कहा कि हम उस शाखा को कब्जे में लेकर कर रहेंगे। मैंने मार खाकर उस शाखा को बनाया और बचाया है। हम अदालत गए और उस शाखा पर कब्ज़े का हमने अधिकार हासिल किया था।
दूसरी तरफ राजुल पटेल ने अफसोस जताते हुए कहा है कि उद्धव का छोड़ने में मैंने देर कर दी। उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि मुझे ठाकरे के प्रति वफादार रहने पर पछतावा हो रहा है। अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों के संबंध में उन्होंने कहा कि पूरे राज्य से लोग शिवसेना (यूबीटी) छोड़ रहे हैं। इसलिए बचे हुए लोगों को रोकने के लिए वे हम पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।
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जबकि लालच में पार्टी छोड़नी होती तो मुझे पहले ही बीजेपी से विधायक बनाने का प्रस्ताव मिला था। राजुल ने कहा कि क्षेत्र में मेरे और राजू पेडणेकर के बीच सिद्धांतों को लेकर विवाद था। यह लड़ाई संगठन के लिए थी। लेकिन, हमारे बीच के मतभेद को सुलझाने की किसी ने पहल नहीं की। पार्टी के वरिष्ठों ने कभी हमें सामने बैठा कर समझाया नहीं। बल्कि वे आग में घी डालने का काम करते थे।
पूर्व नगरसेविका राजुल पटेल ने कहा कि 1997 में पहली बार पार्षद बनने के बाद मैंने वह जमीन 4 लाख रुपए में खरीदी थी। उस जगह का बिजली बिल 1999 से मेरे नाम पर है। यदि कोई कह रहा है कि शाखा के लिए उन्होंने मार खाई है, तो वे इसका सबूत लेकर आएं। मैंने दूसरे लोगों की तरह कार्यालय नहीं, बल्कि शाखा बनाई है। शाखा का स्वामित्व मेरा है।
पूर्व मंत्री अनिल परब ने कहा कि वह शाखा ठाकरे समूह की शाखा है। राजुल पटेल वार्ड की नगरसेविका थीं, सिर्फ इस वजह से शाखा उन्हें दी गई थी और शाखा के दस्तावेज उनके नाम पर हैं। लेकिन अब हमने पुलिस से शाखा कब्जे में लेने को कहा है।