देशभर में 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा जो खास दिन दुनियाभर के गुरूओं को समर्पित दिन होता है। गुरू के ज्ञान के साथ ऐसी ही कई खास जोड़ियों ने दुनियाभर में अपना नाम किया है जिनके बारे में चलिए जाने कुछ विशेष बातें।
जानिए प्रसिद्ध गुरू-शिष्य की जोडि़यों के बारे में (सोर्स-सोशल मीडिया)
देशभर में 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा जो खास दिन दुनियाभर के गुरूओं को समर्पित दिन होता है। इस खास दिन पर जन्म से लेकर अब तक के गुरूओं को प्रणाम किया जाता है। इस खास मौके पर दुनियाभर में प्रसिद्ध गुरू-शिष्य की जोडि़यों के बारे में जानिए।
सांदिपनी ऋषि-श्रीकृष्ण- सबसे पहले बात करते है भगवान श्रीकृष्ण और उनके गुरू ऋषि सांदिपनी की, भगवान को वेद-उपनिषदों का ज्ञान देकर एक युगपुरुष बनाने में ऋषि सांदिपनी का गहरा योगदान है। यहां पर भगवान श्रीकृष्ण ने 64 दिनों में ही 64 कलाएं सीखीं, तो इस जोड़ी को आज भी आदर्श माना जाता है।
द्रोणाचार्य-अर्जुन- महाभारत में भी सबसे खास गुरू-शिष्य की जोड़ी प्रसिद्ध है वो है गुरू द्रोणाचार्य और अर्जुन की। द्रोणाचार्य ने अर्जुन को विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाया था तो वे कौरवों के भी गुरू थे। आज देश में खेलों के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए भारत सरकार खिलाड़ी को ‘अर्जुन पुरस्कार’ और उसके कोच को ‘द्रोणाचार्य पुरस्कार’ देती है।
चाणक्य-चंद्रगुप्त- दुनिया की प्रसिद्ध गुरू औऱ शिष्य की जोड़ियों में चंद्रगुप्त औऱ चाणक्य की जोड़ी के बारे में हर कोई जानते हैं कहते है मगध के राजा महानंद (घनानंद) से अपमानित चाणक्य ने अपनी शिखा खोलकर यह प्रतिज्ञा की थी कि जब तक वह नंदवंश का नाश नहीं कर देगा तब तक वह अपनी शिखा नहीं बांधेगा। जहां अपने शिष्य चंद्रगुप्त को युद्धकला सिखाकर अपमान का बदला लिया था।
अरस्तु-सिकंदर- गुरू औऱ शिष्य की जोड़ी में अरस्तू और सिकंदर महान की जोड़ी को भी हर कोई जानते है। कहते हैं अरस्तु और चाणक्य की कहानी एक जैसी ही है। दोनों ही विद्वानों ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए सम्राट पैदा किए। सिकंदर के मन में ‘विश्व विजेता’ बनने का विचार अरस्तु ने ही डाला था जिसके बाद सिंकदर महान बन गया।
रामदास समर्थ-शिवाजी- दुनिया की प्रसिद्ध गुरू औऱ शिष्य की जोड़ियों में स्वामी रामदास समर्थ और छत्रपति शिवाजी महाराज की जोड़ी काफी प्रसिद्ध है। जनता को आततायी शासकों के अत्याचारों से जनता को मुक्ति दिलाने के लिए उन्होंने शिवाजी को चुना और उन्हें हिंदवी स्वराज्य की स्थापना के लिए प्रेरित किया।
रामकृष्ण परमहंस-स्वामी विवेकानंद- गुरू औऱ शिष्य की जोड़ी में हम युगपुरूष स्वामी विवेकानंद और गुरु रामकृष्ण परमहंस को याद करते है। जहां पर अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस से मिले ज्ञान के आधार पर ही स्वामी विवेकानंद ने भारत के पुनरुत्थान और विश्व के उद्धार के लिए कार्य किया।
रमाकांत आचरेकर-सचिन तेंदुलकर- क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर का नाम हर कोई जानते है लेकिन उन्हें महान बनाने का श्रेय उनके गुरू रमाकांत आचरेकर को जाता है। सचिन तेंदुलकर ने उन्हीं से चौके-छक्के लगाने के गुर सीखे है फिलहाल वे दादर, मुंबई के शिवाजी पार्क में युवा क्रिकेटरों को प्रशिक्षित के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं।