मुंबई: जॉन अब्राहम को इस बात का मलाल है कि ‘विकी डोनर’, ‘मद्रास कैफे’ और ‘बाटला हाउस’ जैसी फ़िल्में बनाने के बावजूद स्टूडियो हेड उन्हें इग्नोर करते हैं और अपनी फिल्म को सपोर्ट करने के लिए जॉन अब्राहम को उन्हें फंडिंग के लिए मानना पड़ता है।
जॉन अब्राहम ने रणवीर अलाहाबादिया के साथ बातचीत के दौरान इस पर चर्चा की उन्होंने बताया कि अपने स्टूडियो हेड को मुझे मनाना पड़ता है, जबकि मैं सफल फिल्में दे चुका हूं। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि उन्हें मुझ पर 100 फीसदी भरोसा अब भी नहीं है। वह मुझसे कहते हैं कि फिल्म का बजट बहुत ज्यादा है।
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जॉन अब्राहम को स्टूडियो हेड नहीं देते जवाब
इंटरव्यू के दौरान जॉन अब्राहम ने आगे बताया कि वह व्हाट्सएप का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो ऐसे में पहले उन्हें यह लगा करता था कि शायद इसी वजह से उन्हें स्टूडियो हेड का जवाब नहीं मिलता। स्टूडियो हेड को किये गए एसएमएस जवाब उन्हें नहीं मिलता था तो उन्हें लगता था कि आजकल लोग व्हाट्सएप पर ज्यादा सक्रिय रहते हैं और तुरंत जवाब भी देते हैं।
जॉन ने आगे कहा कि उनका यह भी भ्रम टूट गया जब उन्हें स्टूडियो हेड ने भरोसा दिया गया था कि वह उनके मैसेज का जवाब देंगे। लेकिन उसके बावजूद करीब 4-5 महीने तक जब कोई जवाब नहीं मिला तो मुझे बुरा लगने लगा। एक्टर ने यह कहा कि वह एक रिप्लाई तो डिजर्व करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मैं इंडियन सिनेमा को थोड़ा बदलना चाहता हूं। मैं यह नहीं कर रहा कि मैं गेम चेंजर हूं, लेकिन मैं इसकी कोशिश तो कर ही सकता हूं।