श्री विश्वाई विश्वेश्वर मंदिर मन्नतों को पुरा करने वाली देवी (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Yavatmal District: तरनोली गांव दारव्हा तहसील से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित है और इस गांव में एक प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पहाड़ी पर स्थित श्री विश्वाई विश्वेश्वर मंदिर है, इस मंदिर में मां आदिशक्ति की पूजा की जाती है। जिसका उल्लेख देवी भागवत की कथा में आता है। यहां बुधवार, 1 अक्टूबर को गोपालकाला कीर्तन व्यसनमुक्ति सम्राट मधुकर खोडे महाराज द्वारा किया जाएगा, जिसके बाद दोपहर 12 बजे महाप्रसाद शुरू होगा। मंदिर के संचालकों ने सभी भक्तो को इस महाप्रसाद का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया है।
देवी भागवत की कथा अनुसार जब दक्ष राजा ने यज्ञ किया था, तब भगवान महादेव को आमंत्रित नहीं किए जाने के कारण आदिशक्ति पार्वती माता क्रोधित होकर होम की अग्नि कुंड में कूद गईं, उस समय महादेव ने उनका शरीर लेकर त्रिलोक में भ्रमण करते हुए तरनोली गांव की पवित्र भूमि पर विश्राम किया था। तब माता सती पार्वती का स्पर्श इस स्थान पर हुआ और इसी स्थान पर सती पार्वती और महादेव भगवान की मूर्ति की स्वयंभू स्थापना हुई। इस स्थान पर विश्राम करने के कारण इस स्थान का नाम विश्वाई विश्वेश्वर के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
यह देवी इस गांव की कुलदैवता हैं और महाराष्ट्र के कोने-कोने से लाखों भाविक भक्तों की भी कुलदैवता हैं। इस स्थान पर नवरात्र में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर के परिसर में नवरात्र के दौरान आदिशक्ति का बड़ा जागर होता है, जिसमें नौ दिनों तक भागवत सप्ताह, कीर्तन, दांडिया भजन, काले का कीर्तन और महाप्रसाद का आयोजन किया जाता है। इन सभी कार्यों के माध्यम से देवी की उपासना की जाती है इस गांव में मंदिर के परिसर में नौ दिनों तक मेले का स्वरूप रहता है।
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मंदिर के पास ही सीता माता की स्नानगृह है और ऐसा कहा जाता है कि जब सीता माता और राम भगवान वनवास में थे, तब उन्होंने जहां-जहां वास किया, वहां-वहां सीता माता की स्नानगृह का उल्लेख ग्रंथों में मिलता है। पुरानी आख्यायिकाओं के अनुसार, तरनोली गांव में भगवान शंकर और विश्वाई देवी के दो हेमाडपंथी प्राचीन मंदिर हैं जिनका उल्लेख ब्रिटिश कालीन सर्वे 1874 के बाद जिला गजेटियर पब्लिश में है, ये हेमाडपंथी मंदिर दुर्गा देवी और चामुंडा देवी के हैं जो लाखों भक्तों के श्रद्धास्थान हैं और अनेक भक्तों के कुलदेवता हैं।