अष्टविनायक सोसाइटी के 13 निदेशकों पर मामला दर्ज (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Yavatmal News: कई महीनों से विवादों में रही अष्टविनायक सहकारी ऋण सोसाइटी के 13 निदेशकों और प्रबंधक के खिलाफ आखिरकार सोमवार रात नेर पुलिस थाने में मामला दर्ज कर लिया गया। अष्टविनायक सहकारी ऋण सोसाइटी की नेर, मोझर, लोही, बोरी अरब और माणिकवाड़ा स्थित शाखाओं में लेन-देन ठप हो गया था। इससे नाराज जमाकर्ता अक्सर जिला कलेक्टर कार्यालय, सहकारिता विभाग की चौखट पर धावा बोल देते थे। जिला कलेक्टर ने एक विशेष लेखा परीक्षक को सोसाइटी का परीक्षण ऑडिट करने का आदेश दिया था।
इस पर जिला विशेष लेखा परीक्षक (श्रेणी 2) सुजीत जाधव ने सोमवार रात नेर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। इसके आधार पर नेर पुलिस ने संस्था के वर्तमान अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, वर्तमान 13 निदेशक और एक प्रबंधक, पूर्व निदेशक, कर्जदार और संस्था के 1991 से 23 मार्च 2024 तक के कर्मचारियों समेत 14 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इनमें अध्यक्ष गणेश राउत, उपाध्यक्ष दीपक आड़े, दिनेश पंगारकर, वसंत पोहेकर, गणेश उर्फ मच्छिंद्र कदम, महेंद्र तिवारी, विष्णु पेटकर, श्रीकांत चिलजावार, नाजिकराव धांडे, योगिता दहेकर, चंदा तवकर, रवींद्र गिरोलकर शामिल हैं।
पिछले कई महीनों से जमाकर्ता अपनी मेहनत की कमाई वापस पाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे थे। जिला उप पंजीयक द्वारा संस्था का परीक्षण लेखा परीक्षा का आदेश देने के बाद, लेखा परीक्षक की रिपोर्ट से पता चला कि इस संस्था में बड़ी अनियमितताएं हैं। निदेशक मंडल ने संस्था की अनियमितताओं को नज़रअंदाज़ किया और संस्था का वित्तीय घाटा बढ़ता गया। आज यह आंकड़ा बढ़कर 28 करोड़ 4 लाख 874 रुपये हो गया है और संस्था ध्वस्त हो गई है। निदेशकों पर आरोप लगने के बाद, जांच एजेंसी अब चूककर्ता कर्जदारों से ऋण वसूलने और जमाकर्ताओं की गाढ़ी कमाई लौटाने की अपील कर रही है।
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अष्टविनायक सहकारी ऋण समिति को पूर्वोत्तर के सहकारी क्षेत्र की अग्रणी संस्था के रूप में जाना जाता है। वर्तमान निदेशक मंडल ने संस्था को बचाने के लिए कई प्रयास किए। इसमें चाहे बकाया ऋणों की वसूली हो, बड़े पैमाने पर 101 मामले दर्ज किए गए। इतना ही नहीं, निदेशकों के भत्ते भी रोक दिए गए। हालांकि, संस्था को बचाने में उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली।
दारव्हा के उप-विभागीय पुलिस अधिकारी डॉ। सिद्धेश्वर भोरे ने कहा कि संस्था के 1991 से 2024 तक के अनियमित लेन-देन की जांच की जाएगी। इससे आरोपियों की संख्या और उनके अपराध का पता चलेगा। प्रत्येक जमाकर्ता की राशि और उस समय संस्था द्वारा तय की गई ब्याज दर की पूरी जांच करके जमाकर्ताओं का पैसा वसूलने का प्रयास किया जाएगा।