नागपुर में बूंद-बूंंद को तरसे लोग
नागपुर: भीषण गर्मी के इस मौसम में जलापूर्ति विभाग की मनमानी भी इस तरह से बढ़ गई है कि लोगों को जलसंकट का सामना करना पड़ रहा हैं। गर्मी के इस समय में पीने के पानी से लेकर कूलर में भरने के लिए भी पानी नहीं मिल पा रहा हैं। इससे नागरिकों में ओसीडब्ल्यू के प्रति रोष बढ़ते जा रहा हैं।
मनपा के ओसीडब्ल्यू ने शहर के जोन के साथ ही मानेवाड़ा, भगवाननगर की पानी की टंकी से मंगलवार को 10 घंटे तक जलापूर्ति बंद रखने का एलान किया था। इसमें मानेवाड़ा के गीतानगर, शाहूनगर के साथ ही काफी बस्तियों के नाम नहीं थे। लेकिन उन क्षेत्रों में भी सोमवार को शाम 4 बजे से नल का पानी गायब हो गया। रात 12 बजे तक लोग नल के पानी की राह देखते रहे लेकिन नलों में पानी ही नहीं आया।
भीषण गर्मी के इस समय में पीने के पानी से लेकर स्नान और कूलर में भरने के लिए भी पानी नहीं मिल पा रहा हैं। मंगलवार को भी लोग सुबह से ही नलों में पानी आने की राह देखते रहे किंतु नलों में पानी ही नहीं आया। सोमवार को सुबह 11 बजे जलापूर्ति बंद की गई थी उसके बाद मंगलवार को 24 घंटे से अधिक समय होने के बाद भी नलों में पानी नहीं आया। इससे लोगों की काफी मुसीबत हो रही हैं।
पानी का बिल बड़ रहा लेकिन पानी नहीं मिला
बता दें कि मनपा के ओसीडब्ल्यू ने 24/ 7 की योजना लागू की। इस योजना के अंतर्गत लोगों ने नियम के अनुसार पानी के मीटर के लिए नये डिमांड भी भरे। इस योजना को काफी साल हो गए किंतु आज तक 24 बाय 7 की योजना नियमित रूप से नहीं शुरू की गई। 24 / 7 तो दूर की बात रोजाना नियमित रूप से भी पानी नहीं मिल पा रहा हैं। पानी का बिल तो बढ़ते ही जा रहा है लेकिन पानी सप्लाई का समय और कम से कम किया जा रहा है. उतने समय में भी नलों में जो पानी आता है उसका फोर्स काफी कम होता है इससे नागरिकों को उनकी जरूरत के हिसाब से पर्याप्त पानी भी नहीं मिल पाता है। हालत यह है कि नलों में कभी भी पानी आता है और कभी भी चले जाता है। बेसा, मानेवाड़ा रोड से लगी अनेक बस्तियों में तो अब दो दिनों से उतना भी पानी नहीं आ रहा हैं।
जलसंकट गहराता जा रहा है
मनीषनगर में तो पानी के और भी बुरे हाल है। विगत 5 दिनों से जलसंकट की स्थिति बनी हुई हैं। ऐसे में भीषण गर्मी के इस समय में महिला, पुरुष सभी को पर्याप्त पानी नहीं होने से काफी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा हैं। मनीषनगर, बेसा में जलसंकट की स्थिति गंभीर होती जा रही है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि पिछले 5 दिनों से उनके घरों में नलों में पानी नहीं आ रहा है, जिससे उन्हें पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। निवासियों का आरोप है कि जलापूर्ति विभाग की लापरवाही के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है। उनका कहना है कि विभाग द्वारा पानी की आपूर्ति को नियमित रूप से नहीं किया जा रहा है, जिससे उन्हें परेशानी हो रही है।
पानी के पानी के लिए तय करनी पड़ी लंबी दूरी
पानी की कमी से स्थानीय निवासियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें पानी के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है और पानी की खरीद भी करनी पड़ रही है, जिससे उनके आर्थिक बोझ में वृद्धि हो रही है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि जलापूर्ति विभाग की लापरवाही के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है। उनका कहना है कि विभाग ने पानी की आपूर्ति को नियमित रूप से नहीं किया जा रहा है और न ही समस्या का समाधान करने के लिए कोई कदम उठाया जा रहा है।
मजबूरी में कैन का दूषित पानी खरीदना पड़ रहा
मनीषनगर, बेसा में जलसंकट की स्थिति गंभीर होती जा रही है। स्थानीय निवासियों को मजबूरी में कैन का पानी खरीदना पड़ रहा है, जिससे उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्हें मजबूरी में कैन का दूषित पानी खरीदना पड़ रहा है, क्योंकि जलापूर्ति विभाग द्वारा नियमित पानी की आपूर्ति नहीं की जा रही है। कैन के पानी के कारण गले में खराश, सर्दी, खांसी की शिकायतें बढ़ी हैं। बर्फ वाले दूषित पानी के सेवन से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि पेट की समस्याएं, उल्टी, दस्त आदि।
स्थानीय निवासियों को अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंतित होना स्वाभाविक है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि जलापूर्ति विभाग की जिम्मेदारी है कि वह नियमित पानी की आपूर्ति करे और लोगों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराए। विभाग को इस समस्या का समाधान करने के लिए कदम उठाने चाहिए। स्थानीय निवासियों ने विभाग से समस्या का समाधान करने की मांग की है। उनका कहना है कि विभाग को नियमित पानी की आपूर्ति करनी चाहिए और लोगों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराना चाहिए।