कपास के बीज (सौ. सोशल मीडिया )
Wardha News In Hindi: खरीफ की फसल हाथ से निकलने के कारण अब किसानों की उम्मीदे रबी मौसम की ओर लगी है। आर्थिक संकट का सामना करते हुए भी किसानों ने रबी की तैयारी शुरू कर दी है। जिले में सन 2025-56 वर्ष के लिए 45 हजार 901.1 क्विंटल बीज की मांग बताई गई है।
इसमें चना के लिए 26,359 क्विंटल बीज, जवार के लिए 45.788 क्विंटल, गेहू के लिए 15,200 क्विंटल व मुंगफल्ली के लिए 4,194 क्विंटल बीज की मांग है। साथ ही कृषि विभाग ने रबी मौसम के लिए जिले में 1 लाख 56 हजार 64 हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई का नियोजन किया है। इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी गई है। खरिफ मौसम में जिले में 4.30 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी।
बारिश की अनियमितता, मौसम में बार-बार होने वाले बदलाव के कारण सोयाबीन फसल पर बीमारी व इल्ली का प्रकोप बढ़ गया।कपास की फसल पर भी कुछ क्षेत्र में बोंड इल्ली का अटैक देखने मिला। जैसे तैसे किसानों ने महंगी दवाईयों का छिड़कांव कर फसल को बचाने की कोशिश की। परंतु समय समय पर हुई अत्यधिक बारिश व अतिवृष्टि के कारण जिले में बाढ़ स्थिति पैदा हुई।
खेतों में पानी भर गया। इससे फसल व खेतीपयोगी जमीन बह गई। इसमें भारी नुकसान होने के कारण किसान आर्थिक संकट में घिर गया है। जून से सितंबर दौरान हुए नुकसान के लिए सरकार ने राहत घोषित की है। परंतु उक्त राहत अत्यल्प होने से लागत खर्च भी निकलना मुश्किल हो गया है।
उल्लेखनीय यह कि, हर साल दिपावली के पहले सोयाबीन व कपास की फसल किसानों के हाथ में आ जाती है। 50 प्रतिशत फसल किसान मार्केट में बेच देता था। इससे मिलने वाली राशि से किसान दीपावली मनाता था। परंतु इस वर्ष स्थिति बिकट बनी हुई है। सोयाबीन की फसल पूर्णत: नष्ट हो गई। कपास की भी उठाया नहीं गया है। परिणामवश इस बार की किसानों की दिपावली अंधेरे में बताई जा रही है।
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रबी मौसम में 1 लाख 56 हजार 64 हेक्टेयर में बुआई का नियोजन किया गया है। इसमें चना 1,6,500 हेक्टेयर, गेहूं 41,080 हेक्टयर, जवार 2,775 हेक्टेयर, मुंगफल्ली 4,194 हेक्टेयर सहित अन्य फसल का समावेश है। आर्वी तहसील में 14297 हेक्टेयर, आष्टी 5894 हेक्टेयर, देवली 22,808 हेक्टेयर, हिंगनघाट 22,508 हेक्टेयर, कारंजा 10,559 हेक्टेयर, समुद्रपुर 28,693 हेक्टेयर, सेलू 26520 हेक्टेयर व वर्धा तहसील में 24 हजार 785 हेक्टेयर में बुआई का नियोजन है।