
वर्धा न्यूज
Wardha News: सरकार भविष्य में आठवां वेतन आयोग लागू करेंगी। उसी समय किसानों के लिए बना पहला स्वामीनाथन किसान आयोग भी लागू करें, इस आशय की मांग का पत्र वरिष्ठ किसान नेता विजय जावंधिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शहा व राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नाम भेजा है।
जावंधिया ने आगे कहा कि, दिल्ली के विस चुनाव के को पहले जनवरी 2025 में ही आठवे वेतन आयोग की घोषणा की थी। कुछ दिन पूर्व बिहार विस चुनाव के पहले इस आयोग के गठन की ओर तीन सदस्यों की समिति बनाने की घोषणा की है। इस समिति को 18 महीने के समय में 50 लाख केंद्र सरकार के कर्मियो और 69 लाख पेन्शनधारकों के वेतन में कितनी वृध्दि करना है, यह शिफारस करनी है।
हमारे देश में 1946 से सरकारी कर्मियों का वेतन, भत्ता, पेन्शन तय करने के लिए पहला वेतन आयोग की स्थापना हुई थी। श्रीनिवास वरदाचारी इसके अध्यक्ष थे। उन्होंने 30 प्लस 25 रुपये महंगाई भत्ता जोड कर 55 रुपये महीना कम से कम वेतन तय किया था। हर दस साल बाद वेतन आयोग कर्मियों का वेतन तय करता है। दूसरा वेतन आयोग 1957 में बना था।
उसने कम से कम वेतन 80 रुपये महीना तय किया था। तीसरे वेतन आयोग ने 1970 में 196 रुपये, चौथे वेतन आयोग ने 750 रुपये प्रति महीना, पांचवें वेतन आयोग ने 1994-96 में 2550, छठवें वेतन आयोग ने 2006 में 7 हजार रुपये कम से कम वेतन तय किया था। जनवरी 2016 में सरकार ने सातवें वेतन आयोग की शिफारस को स्वीकार कर कम से कम वेतन 7 हजार को बढ़ाकर 18 हजार प्रति महीना किया, प्रथम श्रेणी अधिकारी का कम से कम वेतन 56 हजार 100 रुपये महीना तय किया था।
सातवे वेतन आयोग का फिटमेंट फैक्टर 2.57 था। पिछले सात वेतन आयोग के आधार पर यह कहा जा रहा है कि, आठवे वेतन आयोग का कम से कम वेतन 46 हजार होगा। मतलब कम से कम 1500 रुपये प्रति दिन वेतन बढ़ेगा। हमारा इसको विरोध नहीं है, हमारी इतनी ही अपील है कि जब यह आयोग लागू होगा तब से स्वतंत्र भारत में देश के अन्नदाता किसानों के लिए बने हुए पहले डॉ. स्वामीनाथन किसान आयोग की शिफारस को भी लागू करने की घोषणा करें।
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नेता विजय जावंधिया ने कहा कि हमने यही मांग 2006 में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के सामने वर्धा जिले के वायफड इस गांव में 30 जून को रखी थी। उस समय छठवें वेतन आयोग का विरोध भी हुआ था। हमारी यही अपील है कि, सरकारी भाई-बहन को 1500 रुपए रोज तो, हमारे गांव के किसान भाई बहन 1000 से 1200 रुपए तो मिलना चाहिए। इसे हिसाब में लेकर फसलों की एमएसपी चाहिए, ऐसा भी जावंधियां ने अपने पत्र में कहा है।






