प्रधानमंत्री किसान फसल बीमा योजना (सौ. सोशल मीडिया )
Wardha News In Hindi: वर्धा जिले के किसानों के लिए इस बार खरीफ और रबी सीजन में नई फसल बीमा योजना लागू की गई है, जिसमें किसानों को प्रचलित दरों पर बीमा प्रीमियम भरना पड़ा। लेकिन यह योजना अब किसानों के लिए परेशानी का कारण बनती नजर आ रही है।
इस वर्ष जून और जुलाई महीने में जिले में भारी अतिवृष्टि और सोयाबीन की फसलों पर रोगों का प्रकोप देखा गया, जिससे हजारों हेक्टेयर फसलें प्रभावित हुई। इसके बावजूद, बीमा कंपनियों ने इन आपदाओं को योजना से बाहर कर दिया है। ना ही सर्वेक्षण के लिए उनके अधिकारी गांवों में पहुंचे, और ना ही किसानों को कोई भरोसा मिला, जिससे पीएम फसल बीमा योजना सफेद हाथी साबित हो रही है।
खरीफ सीजन में जून और जुलाई के दौरान वर्धा जिले के हिंगनघाट, देवली, वर्धा और आवीं तहसील में हजारों हेक्टेयर फसलें – अतिवृष्टि और रोगों की चपेट में आयी है। जून महीने में हिंगनघाट 242.08 हेक्टेयर, देवली 198.85 हेक्टेयर, वर्धा 43।45 – हेक्टेयर फसल नुकसान, जुलाई महीने में हिंगनघाट 1,327.76 हेक्टेयर, देवली 199.15 हेक्टेयर, वर्धा 275.51 हेक्टेयर, – आर्यों 412.49 हेक्टेयर फसल प्रभावित – हो गई हैं, राज्य प्रशासन द्वारा सर्वेक्षण तो – किया गया और करीब 4 करोड़ 21 लाख 80 हजार 335 रुपये की सहायता की मांग भी भेजी गई लेकिन बीमा कंपनियों ने नुकसान की भरपाई से हाथ पीछे खींच लिया, पहले किसानों को सिर्फ 1 रुपये में बीमा की सुविधा मिलती थी, जिसमें मिड-टर्म क्षति, 21 दिन का सूखा और रोगों का प्रादुर्भाव भी कवर में आता था।
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लेकिन इस साल से बीमा योजना में बदलाव कर केवल फसल कटाई प्रयोग (क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट) पर आधारित बीमा रखा गया है। इस बदलाव से अतिवृष्टि, रोगराई जैसे प्रमुख कारण योजना से बाहर हो गए, कंपनी के कर्मचारियों ने सर्वेक्षण तक नहीं किया, किसानों को कोई राहत नहीं, जबकि उन्होंने प्रीमियम का भुगतान किया।