10 दिन बाद सुलझी हत्या की गुत्थी। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
वर्धा: कहते हैं कि गुस्से में कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। अगर किसी के अंदर जवानी का खून दौड़ रहा हो, तो गुस्सा जानलेवा साबित हो सकता है। ताजा मामले में यही हुआ। 7 मई 2025 को वर्धा नदी में मिले युवक के शव से उसकी निर्मम हत्या का पता चला। पुलिस जांच में जुट गई। इस मर्डर मिस्ट्री का पता लगाकर पुलिस ने 3 युवकों को गिरफ्तार किया है। बता दें कि इस हत्याकांड में 30 साल से कम उम्र के 10 युवकों पर हत्या का आरोप है।
पुलिस के अनुसार, हत्या 7 मई को हुई थी। मृतक की पहचान देवली तालुका के तंभा येंडे निवासी गोलू धनराज कुंभार (28) के रूप में हुई है। गोलू अपने दोस्त अमोल सलामे की दोपहिया गाड़ी कुछ दिनों के लिए इस्तेमाल के लिए लाया था। लेकिन आर्थिक तंगी के चलते उसने बाइक यवतमाल निवासी गुड्डू दबेकर के पास गिरवी रख दी और 10,000 रुपये निकाल लिए। लेकिन बार-बार मांगने के बाद भी बाइक वापस नहीं मिली तो उसके दोस्त अमोल ने आखिरकार सावंगी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने गिरवी रखी बाइक जब्त कर अमोल को लौटा दी। अनूप दबेकर को गुस्सा आ रहा था क्योंकि उसे गिरवी रखे 10 हजार रुपए वापस नहीं मिल रहे थे। गांव जाते समय वह गोलू के घर पहुंचा। उसने पैसे मांगे। जब उसे पैसे नहीं मिले तो अनूप गोलू को गांव से बाहर ले गया। वह उसे कोठा गांव में तालाब के पास ले आया। यहां गोलू की पिटाई की गई।
अनूप के दोस्त अनिकेत काकड़े, सूरज बंधबुचे, विजू येडमे, धन्नू कोल्हे, अविनाश भोयर, शुभम टेकाम ने मिलकर गोलू की फावड़े, बेल्ट और लाठियों से पिटाई की। इस बर्बर पिटाई में गोलू की मौत हो गई। यह देख आरोपियों ने शव को ठिकाने लगाने का फैसला किया। शव को खारदा शिवार में वर्धा नदी की नहर में फेंक दिया। खून से सने कपड़े भी जला दिए। इस मामले में 10 मई को गोलू के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई गई थी। बाद में ग्रामीणों ने बताया कि शव नदी की तलहटी में मिला है। जांच में हत्या का खुलासा हुआ।
इस मामले में धन्नू कोल्हे, अविनाश भोयर, शुभम टेकाम को गिरफ्तार कर लिया गया है और बाकी लोग फरार हैं। पुलिस अधीक्षक अनुराग जैन और अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. सागर कावड़े के मार्गदर्शन में सहायक पुलिस अधीक्षक राहुल चव्हाण, देवली थानेदार रवींद्र शिंदे, उपनिरीक्षक कल्पेश मगरे, सहायक फौजदार दीपक जाधव के साथ ही मनोज कांबले, कुणाल हिवसे, नितिन तोडासे, संदीप बोरबन, रामदास दराडे, उमेश बेले ने इस ऑपरेशन को सफल बनाया।