राज्य मंत्री आशीष जायसवाल के साथ चर्चा (pic credit; social media)
Anti Land Grabbing Act: महाराष्ट्र में मंदिरों (देवस्थानों) की जमीनों पर बड़े पैमाने पर कब्जा किए जाने की घटनाओं को रोकने के लिए अब सरकार ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है। महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की मांग पर विधि एवं न्याय राज्यमंत्री एड. आशीष जयसवाल ने मंत्रालय में विशेष बैठक आयोजित की। इस दौरान उन्होंने देवस्थानों की हड़पी गई जमीनों का सर्वे करने और जिलेवार सूची तैयार करने के आदेश दिए।
बैठक में महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के राष्ट्रीय समन्वयक सुनील घनवट, श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग देवस्थान के अध्यक्ष अधिवक्ता सुरेश कौदरे, विदर्भ देवस्थान समिति के सदस्य और अन्य प्रमुख ट्रस्टी मौजूद थे। महासंघ ने राज्य सरकार से मांग की कि गुजरात की तरह महाराष्ट्र में भी ‘एंटी लैंड ग्रैबिंग एक्ट’ लागू किया जाए, ताकि देवस्थानों की भूमि वापस मिले और अवैध कब्जा रोकने में मदद हो।
राज्यमंत्री जयसवाल ने सिंधुदुर्ग जिले के देवस्थानों की भी स्थिति को समझते हुए आदेश दिए कि वर्ष 1969 में पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति को सौंपे गए 245 देवस्थानों को स्वतंत्र ट्रस्टी मंडल के अधीन लाया जाए। इससे स्थानीय पुजारियों और सेवा धारियों को बार-बार कोल्हापुर जाकर प्रशासनिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
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इसके अलावा रत्नागिरी-कोंकण के देवस्थानों की ‘देवराई’ और ‘देवराहाटी’ भूमि के 7/12 उद्धरणों से अवैध रूप से महाराष्ट्र सरकार के नाम पर दर्ज किए जाने के मामले पर भी चर्चा हुई। राज्यमंत्री जयसवाल ने जांच कर देवस्थानों के नाम पर कितनी भूमि थी और कितनी हटाई गई, इसका सर्वे करने के आदेश दिए। धर्मादाय आयुक्त को भी इस जांच के लिए निर्देशित किया गया।
राज्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि कानून से बाहर जाकर किसी को भी देवस्थान की भूमि पर कब्जा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि देवस्थानों की पूजा-अर्चना और धर्मकार्य में किसी प्रकार की बाधा नहीं आने दी जाएगी। गुजरात, कर्नाटक, असम, ओडिशा और तमिलनाडु जैसे राज्यों में बने एंटी लैंड हैबिंग कानूनों की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी सख्त आपराधिक कानून बनाए जाएंगे। इससे भू-माफियाओं और अवैध कब्जाधारियों को चेतावनी मिलेगी और मंदिरों की जमीनों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।