काली दिवाली (सौ. सोशल मीडिया )
Wardha News In Hindi: इस साल भारी बारिश के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। सोयाबीन और कपास की फसलें अत्यधिक वर्षा, चारकोल रॉट और यलो मोज़ैक जैसी बीमारियों के कारण तबाह हो गई हैं।
हालांकि सरकार ने नुकसान भरपाई की घोषणा की थी, लेकिन अब तक यह राशि किसानों के बैंक खातों में नहीं पहुंची है। साथ ही, घोषित की गई आर्थिक सहायता को अपर्याप्त बताते हुए महाविकास आघाड़ी की ओर से 21 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन के दिन जिलाधिकारी कार्यालय के सामने काली दिवाली के रूप में धरना आंदोलन किया गया।
आंदोलन के माध्यम से किसानों और मेहनतकशों की समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया गया। धरना आंदोलन का नेतृत्व सांसद अमर काले ने किया। आंदोलन के दौरान पूर्व राज्यमंत्री रणजीत कांबले, शिवसेना (यूबीटी) के नेता व पूर्व राज्यमंत्री अशोक शिंदे, राष्ट्रवादी कांग्रेस (एसपी) के जिलाध्यक्ष अतुल वांदिले, कांग्रेस नेता शेखर शेंडे, सुनील राऊत, कांग्रेस जिलाध्यक्ष मनोज चांदुरकर, डॉ। अभ्युदय मेघे, सुधीर पांगूल आदि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए सरकार की किसान विरोधी नीतियों की आलोचना की।
आंदोलन में पूर्व जिप अध्यक्ष कलावती वाकोडकर, राजेंद्र शर्मा, बालू वानखेडे, दशरथ ठाकरे, अतुल पन्नासे, अर्चना भोमले, प्रवीण हिवरे, बाळकृष्ण माऊस्कर, रवी शेंडे, वीणा दाते, बाळा नांदुरकर, मुन्ना झाडे, महेश झोटिंग, राजाभाऊ पांगूळ, इक्राम हुसैन, किरण ठाकरे, निहाल पांडे, सलीम कुरेशी, संदीप किटे, महेंद्र मुनेश्वर, सुरेश ठाकरे, अरुणा धोटे, मविआ के विभिन्न दलों के पदाधिकारी, कार्यकर्ता और बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।
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आंदोलन के माध्यम से कुछ मांगों पर ध्यान खींचा गया़ कर्ज में डूबे और फसल नष्ट होने से परेशान किसानों को पूरी कर्जमाफी दी जाए, जिले में गिला अकाल क्षेत्र घोषित किया जाए, मुआवजे के पैकेज में बढ़ोत्तरी की जाए, वन्य जीवों द्वारा फसलों को पहुंचाए नुकसान की भरपाई की राशि बढ़ाई जाए, किसानों को जबरदस्ती सोलर पंप न थोपे जाएं, बल्कि बिजली कनेक्शन और सोलर दोनों विकल्प दिए जाएं, सरकारी कार्यों की लंबित देनदारियां तुरंत ठेकेदारों को चुकाई जाएं आदि मांगों का समावेश था।