(फोटो सोर्स सोशल मीडिया)
उल्हासनगर : उल्हासनगर विधानसभा सीट पर पिछले 6 दशक से सिंधी समाज का एकछत्र राज है। विगत 30 साल से यहां भाजपा के कुमार आयलानी तथा शहर की राजनीति में अपना दबदबा रखने वाले पूर्व विधायक पप्पू कालानी के बीच ही मुख्य मुकाबला देखने को मिलता रहा है। अब एक बार फिर 20 नवंबर को होने जा रहे विधानसभा चुनाव में परंपरागत प्रतिद्वंदी आयलानी व कालानी के बीच टक्कर होने जा रही जा रही है।
हालांकि, मजेदार बात ये है कि इस बार वर्तमान विधायक कुमार आयलानी की भिड़ंत पूर्व विधायक पप्पू कालानी के पुत्र ओमी कालानी से है। यानी महाविकास आघाड़ी के प्रत्याशी ओमी कालानी महायुति के कुमार आयलानी से भिड़ेंगे, जो इससे पहले उनके पिता व मां के सामने चुनाव लड़ चुके है। हालांकि, जीत किसे मिलेगी ये तो परिणाम ही बताएंगे लेकिन राकांपा शरद पवार गुट की ओर से शहर में इस बार परिवर्तन होने के बैनर व बोर्ड जरूर लगाए गए हैं।
उल्हासनगर विधानसभा में पहले मनपा के संपूर्ण 1 से 5 कैम्प आते थे, लेकिन साल 2009 में विधानसभा क्षेत्र के हुए नए परिसीमन में कैम्प 4 व 5 को काट दिया गया। शहर की पहचान एक लघु उद्योग नगरी के रूप में होती है। सिंधी मतदाताओं के अलावा यहां बड़े पैमाने पर दलित व परप्रांतीय वोटर है। लेकिन, इस सीट का सारा दारोमदार इस बार सिंधी वोटरों पर है। ये वोट जिसकी झोली में गए वही उम्मीदवार कामयाब होगा। हालांकि, मराठी, मुस्लिम, दक्षिण भारतीय और ईसाई मतदाताओं का भी समावेश इसमें रहेगा।
इस सीट पर साल 2019 के आम चुनाव में भाजपा तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस के बीच टक्कर हुई थी, पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। महायुति के उम्मीदवार कुमार आयलानी तथा MVA के ओमी पप्पू कालानी के बीच कांटे की टक्कर होने की चर्चा आम मतदातों में है। इसके अलावा, मनसे से भगवान भालेराव, वंचित बहुजन आघाडी से संजय गुप्ता, महायुति के बागी भरत गंगोत्री सहित कुल 22 उम्मीदवार भी चुनावी दंगल में उतरे हैं।
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उल्हासनगर सीट पर ज्यादातर समय कालानी परिवार का वर्चस्व रहा है। 2014 में मोदी लहर होने के बावजूद राकांपा की ज्योति पप्पू कालानी ने भाजपा के कुमार आयलानी को 2 हजार वोटों से हराया था। आयलानी में हार का बदला 2019 में लिया था। लोकसभा चुनाव में महायुति के डॉ श्रीकांत शिंदे को उल्हासनागर विधानसभा से 54 हजार 457 की बढ़त हासिल हुई थी। उन्हें 85, 698 तथा यूबीटी की वैशाली दरेकर को मात्र 31 हजार 241 वोट मिले थे। लोकसभा के चुनाव में टीओके प्रमुख व महाविकास आघाडी के उम्मीदवार ओमी कालानी ने दोस्ती का गठबंधन बनाकर शिवसेना के डॉ श्रीकांत शिंदे के पक्ष में खुलकर प्रचार व रैलियां भी की थी। गौरतलब है कि उल्हासनगर में सिंधी समाज की आबादी लगभग 50 प्रतिशत से अधिक है। परप्रांतीय सहित मराठी, मुस्लिम, बंगाली, गुजराती, राजस्थानी और दक्षिण भारतीय मतदाता भी इस क्षेत्र में हैं।
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इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या वर्षों से रहने वाले अधिकांश नागरिकों को उनके घर वाली जमीन का मालिकाना हक न मिलना, अवैध बिल्डिंगों को वैध करने की प्रक्रिया में प्रशासन के अधिकारियों द्वारा कार्यालय के सालों चक्कर कटवाना, शहर के मुख्य मार्केट में वाहन की पार्किंग न होना, जलापूर्ति, उल्हासनगर विधानसभा क्षेत्र से जुड़े उल्हासनगर, विठ्ठलवाडी तथा शहाड रेलवे स्टेशन के बाहर पार्किंग सुविधा न होना व रेल यात्रियों को प्रतिदिन ऑटो वालों व फेरी वालों से उलझना और शहर में बड़े पैमाने स्लम क्षेत्र है, जिसका विकास जरूरी है।