कांग्रेस कार्यकर्ता ने पेश किए सबूत (pic credit; social media)
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों वोट चोरी का मुद्दा फिर से सुर्खियों में है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा संसद में दिए गए बयान के बाद इस मामले पर बहस और तेज हो गई है। राहुल गांधी ने हाल ही में कहा था कि सत्ता में बैठे लोग लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं और जनता के अधिकार छीन रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देकर यह भी बताया कि किस तरह वोट चोरी की घटनाएं लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बन चुकी हैं।
राहुल गांधी के इस बयान के बाद सोलापुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि हाल ही में संपन्न हुए चुनावों में शहर और आसपास के तीन विधानसभा क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर धांधली की गई। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा ने प्रशासन और अधिकारियों से मिलीभगत करके मतदाताओं की सूची में गड़बड़ी की और फर्जी तरीके से वोट डलवाए।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जो सबूत सामने रखे हैं, उनके अनुसार एक ही मतदाता का नाम अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूची में दर्ज किया गया। कार्यकर्ताओं का दावा है कि ऐसे मतदाताओं ने एक ही दिन में दो से तीन अलग-अलग जगहों पर वोट डाले। यह सीधा-सीधा चुनावी प्रक्रिया के साथ धोखाधड़ी है।
कांग्रेस नेताओं ने इस मामले को “लोकतंत्र पर हमला” करार दिया और कहा कि भाजपा ने लोकतांत्रिक मूल्यों को ताक पर रखकर सत्ता पाने के लिए गलत तरीके अपनाए। कार्यकर्ताओं ने यह भी बताया कि इस बार वे चुप नहीं बैठेंगे और चुनाव आयोग से लेकर अदालत तक लड़ाई लड़ेंगे।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “भाजपा ने सिर्फ वोट नहीं चुराए, बल्कि जनता के विश्वास के साथ भी धोखा किया है।” उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और यदि ऐसा नहीं हुआ तो लोकतंत्र में जनता का भरोसा टूट जाएगा।
सोलापुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की यह सक्रियता स्थानीय राजनीति को भी प्रभावित कर रही है। उन्होंने साक्ष्य के तौर पर मतदाता सूचियों, पहचान पत्रों और गवाहों के बयान मीडिया को दिखाए।
हालांकि भाजपा की ओर से इन आरोपों को सिरे से खारिज किया गया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस चुनावी हार से बौखला गई है और झूठे आरोप लगाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। लेकिन कांग्रेस का दावा है कि इस बार वे किसी भी कीमत पर यह मुद्दा छोड़ने वाले नहीं हैं। सोलापुर की राजनीति में “वोट चोरी” का यह विवाद अब और भी बड़ा हो सकता है और आने वाले चुनावी समीकरणों पर इसका सीधा असर दिख सकता है।