
5 वर्षीय मूक बालक के उपचार से किया मना (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Mira Bhayander Municipal Corporation: मीरा-भाईंदर मनपा के दिव्यांग पुनर्वसन केंद्र में 5 वर्ष 9 माह के दिव्यांग बालक शिवांश के उपचार से मना कर दिया गया है। केंद्र के डॉक्टरों का कहना है कि उसके पास आधार कार्ड या दिव्यांग प्रमाणपत्र नहीं होने के कारण उसका उपचार करना संभव नहीं है। शिवांश के पिता सूरज गुप्ता ने बताया कि जन्म के बाद से ही शिवांश को बोलने में परेशानी हो रही थी। इसी कारण उन्होंने उसका ठाणे स्थित वि. एस. जनरल हॉस्पिटल (ठाणे सिविल हॉस्पिटल) के मनोचिकित्सा विभाग में परीक्षण करवाया।
वहां के काउंसलर डॉ. अजिंक्य एस. असोदेकर ने उसे भाईंदर पश्चिम स्थित पंडित भीमसेन जोशी (टेंबा) सरकारी अस्पताल में रेफर किया। वहां से उसे मीरा-भाईंदर मनपा के मीरारोड स्थित दिव्यांग पुनर्वसन केंद्र में भेजा गया, जहां उसे 6 बार फिजियोथैरेपी कराने की सलाह दी गई थी। लेकिन जब सूरज गुप्ता अपने बच्चे को फिजियोथैरेपी के लिए केंद्र पर लेकर पहुंचे, तो आधार कार्ड न होने के कारण शिवांश का उपचार करने से मना कर दिया गया। जबकि उसके पिता ने अपना आधार कार्ड दिखाया था।
समाज कल्याण अधिकारी MBMC दीपाली जोशी ने कहा कि “ठाणे सिविल हॉस्पिटल के डॉक्टर ने प्रिस्क्रिप्शन में किस प्रकार की फिजियोथैरेपी देनी है, यह स्पष्ट नहीं लिखा है। केंद्र में केवल दिव्यांगों का उपचार किया जाता है। अगर सभी का उपचार शुरू कर देंगे तो अनावश्यक भीड़ बढ़ेगी।”
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पूर्व नगरसेवक ओमप्रकाश गाड़ोदिया ने कहा कि “सरकार ने स्वास्थ्य के लिए आयुष्मान कार्ड जैसी योजनाएं लागू की हैं, लेकिन केवल आधार कार्ड या दिव्यांग प्रमाणपत्र न होने पर किसी बच्चे को उपचार से वंचित करना दुर्भाग्यपूर्ण है। बच्चे को कोई बड़ी सर्जरी नहीं, सिर्फ फिजियोथैरेपी की जरूरत थी। मैंने इस विषय में मनपा आयुक्त से भी बात की, लेकिन मानवता के आधार पर भी उन्होंने ध्यान नहीं दिया।”






