
मीरा-भाईंदर महानगरपालिका (फोटो नवभारत)
Mira-Bhayandar Municipal Corporation Election: ठाणे जिले की मीरा–भाईंदर महानगरपालिका में 27 अगस्त 2022 को जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त होने के करीब 40 महीने बाद चुनाव का ऐलान हो गया है। राज्य चुनाव आयोग ने मतदान की तारीख 15 जनवरी 2026 घोषित की है, जिससे पूरे शहर में चुनावी सरगर्मी और राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
करीब 40 माह के लंबे अंतराल के बाद राज्य चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक चुनाव की घोषणा किए जाने के साथ ही शहर की राजनीति में नई जान आ गई है। आयोग द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार, नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 23 से 30 दिसंबर 2025 तक चलेगी।
नामांकन पत्रों की जांच 31 दिसंबर 2025 को होगी, जबकि नाम वापस लेने की अंतिम तिथि 2 जनवरी 2026 तय की गई है। चुनाव चिह्न वितरण 3 जनवरी 2026 को होगा, जिसके बाद 4 जनवरी 2026 से चुनाव प्रचार शुरू हो जाएगा। प्रचार समाप्ति की तिथि 13 जनवरी 2026 है। मतदान 15 जनवरी 2026 को होगा और मतगणना व परिणाम 16 जनवरी 2026 को घोषित किए जाएंगे।
मीरा-भाईंदर महानगरपालिका में कुल 24 प्रभागों में चुनाव होंगे, जिनमें से कुल 95 पार्षदों का चुनाव होना है। इन सीटों में से 48 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। प्रभाग क्रमांक 1 से 23 तक चुनाव 4 सदस्यीय पैनल प्रणाली के तहत होंगे। हालांकि, भाईंदर पश्चिम के उत्तन क्षेत्र में स्थित प्रभाग क्रमांक 24 में 3 सदस्यीय पैनल के अनुसार मतदान कराया जाएगा। पैनल प्रणाली और महिला आरक्षण के चलते राजनीतिक दलों के सामने टिकट वितरण को लेकर संतुलन साधने की बड़ी चुनौती है।
इस बार मीरा-भाईंदर शहर में मतदाताओं की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई है। चुनाव आयोग के अनुसार, शहर में अब कुल 8,19,153 मतदाता दर्ज हैं। इनमें 4,33,045 पुरुष मतदाता, 3,86,078 महिला मतदाता और 20 तृतीय लिंग के मतदाता शामिल हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में मतदाताओं की संख्या 5,93,336 थी, यानी इस बार 2,25,817 मतदाताओं की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। हालांकि, मतदाता सूची में एक से अधिक बार नाम दर्ज होने जैसी त्रुटियों की शिकायतें आयोग को मिली हैं, इसलिए संशोधित सूची के प्रकाशन के बाद मतदाताओं की कुल संख्या में आंशिक बदलाव की संभावना भी है।
चुनाव की घोषणा होते ही भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट), शिवसेना (उद्धव गुट), कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी) और मनसे जैसे सभी प्रमुख राजनीतिक दल संभावित उम्मीदवारों की सूची तैयार करने में जुट गए हैं। इस बार नए और युवा चेहरों को मौका दिए जाने की भी प्रबल संभावना है। शहर का सामाजिक और राजनीतिक समीकरण अब पहले जैसा नहीं रहा है; पारंपरिक मराठी मतदाता आधार पहले की तुलना में कमजोर हुआ है, जबकि राजस्थानी, गुजराती और उत्तर भारतीय समुदायों की संख्या, संगठित शक्ति और राजनीतिक प्रभाव लगातार बढ़ा है।
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फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि महायुति या महा विकास आघाड़ी के रूप में कोई ठोस गठबंधन मैदान में उतरेगा या नहीं। भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) अपने मजबूत संगठनात्मक नेटवर्क और सत्ता अनुभव पर भरोसा कर रहे हैं। कांग्रेस और मनसे स्थानीय मुद्दों को केंद्र में रखकर मतदाताओं तक पहुंचने की रणनीति पर काम कर रही हैं। यह चुनाव बढ़ी मतदाता संख्या और बदले सामाजिक समीकरणों के चलते बेहद दिलचस्प साबित होने की पूरी संभावना है।






