
सोलापुर गन्ना आंदोलन तेज, राज्यभर के किसान नेता मैदान में (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Solapur Sugarcane Protest: सोलापुर जिले में गन्ने की कीमत को लेकर आंदोलन तेज हो गया है। कड़ाके की ठंड के बीच भूख हड़ताल पर बैठे किसान नेता समाधान फाटे की तबीयत छठे दिन गंभीर हो गई है। इसके बाद राज्य भर के किसान नेता पंढरपुर के लिए रवाना हो गए हैं। समाधान फाटे और उनके तीन साथी पिछले छह दिनों से सोलापुर के वखरी पालखीताल में गन्ने के पहले टन के लिए 3,500 रुपये की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर हैं।
छठे दिन उनकी तबीयत बेहद नाजुक हो गई है और उन्होंने इलाज लेने से भी इनकार कर दिया है। इस स्थिति को देखते हुए किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि जिले की एक भी चीनी मिल को चालू नहीं होने दिया जाएगा। आंदोलनकारियों का आरोप है कि सोलापुर जिले का गन्ना सतारा के जरांडेश्वर और पुणे जिले की नीरा-भीमा फैक्ट्रियों में भेजा जा रहा है, जहां किसानों को पहले टन के लिए 3,500 रुपये का भुगतान किया जा रहा है।
इससे नाराज़ किसान कार्यकर्ताओं ने आंदोलन के पहले ही दिन सीताराम और पांडुरंग को-ऑपरेटिव चीनी फैक्ट्रियों को बंद करा दिया। दबाव के बाद इन दोनों फैक्ट्रियों ने पहले टन का दाम बढ़ाकर 3,000 रुपये कर दिया। फैक्ट्रियों के बंद होने के डर से उद्योगपति बबनराव शिंदे ने अपनी दोनों फैक्ट्रियों और विधायक अभिजीत पाटिल ने अपनी विट्ठल फैक्ट्री के लिए 3,000 रुपये से अधिक का टन घोषित किया।
इस दौरान समाधान फाटे ने सवाल उठाया “अगर आसपास के जिलों की फैक्ट्रियां इतनी लंबी दूरी तक गन्ना ढोकर 3,500 रुपये दे सकती हैं, तो सोलापुर के किसानों को केवल 1,000 रुपये प्रति टन क्यों दिए जाएं?” उन्होंने आरोप लगाया कि कई चीनी उद्योगपतियों के पास दर्जनों फैक्ट्रियां हैं और उनके पास नई फैक्ट्रियां खरीदने के लिए भी पर्याप्त पूंजी मौजूद है।
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किसान संघ के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने तुरंत हस्तक्षेप नहीं किया, तो सोलापुर का यह आंदोलन पूरे महाराष्ट्र में फैल जाएगा। समाधान फाटे की बिगड़ती तबीयत को देखते हुए आज राज्य स्तर के किसान नेता मौके पर पहुंच सकते हैं।






