आसान नहीं कांग्रेस की राह (सौजन्यः सोशल मीडिया)
सोलापुर: पिछले 3 सालों से सोलापुर नगर निगम प्रशासक के अधीन है। न्यायालय द्वारा 4 महीने के भीतर चुनाव कराने के आदेश के बाद सभी राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस पृष्ठभूमि में नगर निगम चुनाव अक्टूबर माह में होने की संभावना है।
पिछले पंचवर्षीय चुनावों में सोलापुर नगर निगम में कांग्रेस के चौदह पार्षद चुने गए थे। कुल 15 पार्षद थे, जिनमें से एक स्वीकृत पार्षद भी था। इनमें से 4 पार्षद पार्टी छोड़ चुके हैं। 2 पूर्व पार्षद अलग हो चुके हैं। कार्यकर्ताओं में चर्चा है कि आगामी नगर निगम चुनाव में कांग्रेस को कड़ी चुनौती मिलेगी।
2017 के मनपा चुनाव में कांग्रेस के 14 नगरसेवक चुने गए थे। इनमें से वैष्णवी कारगुले विधानसभा चुनाव में भाजपा में शामिल हो गई हैं। बाबा मिस्त्री ने प्रहार पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़ा है। तौफीक हट्टूरे एमआईएम पार्टी में शामिल हो गए हैं और स्वीकृत नगरसेवक यू.एन. बेरिया ने शरद चंद्र राष्ट्रवादी पार्टी का दामन थाम लिया है।
साथ ही पूर्व विधायक प्रिया माने, दिलीप माने गुट की पूर्व नगरसेविका शिवा बाटलीवाला फिलहाल निर्दलीय हैं और चुनाव के दौरान पता चलेगा कि वे मनपा चुनाव में किसी अन्य पार्टी में शामिल होंगे या कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे।
लेकिन फिलहाल दोनों पूर्व पार्षद अलग-थलग नजर आ रहे हैं। वहीं, 2017 के नगर निगम चुनाव में भाजपा सत्ता में थी और भाजपा के 49 पार्षद चुने गए थे। हालांकि, फिलहाल चर्चा है कि आगामी चुनाव में कांग्रेस को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि कई पार्टियों के पूर्व पार्षद और नेता भाजपा की ओर झुक रहे हैं।
एक समय नगर निगम में कांग्रेस के 42 से ज्यादा पार्षद चुने जाते थे। लेकिन, पार्टी में गुटबाजी और अन्य कारणों से वर्ष 2017 में मात्र 14 पार्षद ही चुने गए। इसके चलते पार्टी को नगर निगम की सत्ता से दूर रहना पड़ा। इस दौरान पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ है। इसकी भरपाई के लिए सभी नेताओं को एकजुट होकर चुनाव में पुराने और नए नेताओं को मौका देने की जरूरत है।
चेतन नरोटे, विनोद भोसले, परवीन इनामदार, प्रवीण निकालजे, अनुराधा काटकर, नरसिंह कोली, फिरदोस पटेल, रियाज हुंडेकरी और श्रीदेवी फुलारे वर्तमान में यह 9 लोग कांग्रेस के साथ हैं। इनके बलबुते कांग्रेस क्या चमत्कार कर दिखाती है यह देखना होगा।