
सातारा की महिला डाॅक्टर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Satara Doctor Suicide Case: महाराष्ट्र के सतारा जिले में एक महिला सरकारी डॉक्टर की कथित आत्महत्या के मामले में पुलिस सब-इंस्पेक्टर गोपाल बदाने को शनिवार शाम गिरफ्तार कर लिया गया। यह गिरफ्तारी उसी दिन हुई जिस दिन अन्य आरोपी सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रशांत बंकर को पुणे में पुलिस ने हिरासत में लिया था।
सातारा जिले में 26 वर्षीय महिला डॉक्टर संपदा मुंडे की आत्महत्या ने पूरे सरकार सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर दिया है। फलटण तहसील अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर ने शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना से त्रस्त होकर 23 माह में 21 शिकायतें की, लेकिन एक पर भी कार्रवाई नहीं हुई। यह खुलासा डॉक्टर ने 4 पेज के सुसाइड नोट में किया।
अपने खिलाफ चल रही विभागीय जांच के दौरान भी डॉक्टर ने प्रताड़ना से बेहद परेशान होने का जिक्र करते हुए अधिकारियों के समक्ष खुले तौर पर स्पष्ट किया था कि अगर मेरे साथ अन्याय नहीं रुका तो मैं आत्महत्या कर लूंगी।
इसके बावजूद, न तो विभागीय अधिकारियों ने उसकी मानसिक स्थिति को गंभीरता से लिया और न पुलिस महकमे के आला अफसरों ने उसकी शिकायतों की तह में जाने की जहमत उठाई। नतीजा यह हुआ कि दूसरों की जान बचाने वाली महिला डॉक्टर खुद की जान देने पर मजबूर हो गई।
चार पन्नों का डिटेल सुसाइड नोट में महिला डॉक्टर ने आरोप लगाया है कि एक पुलिस अधिकारी ने उनका चार बार बलात्कार किया और उन्हें पुलिस मामलों में अभियुक्तों के लिए फर्जी फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने का दबाव डाला। प्रताड़ना की इन गतिविधियों में उस पर न केवल पुलिस अधिकारियों बल्कि एक सांसद और उनके पीए यानी निजी सहायकों का भी दबाव था।
हालांकि सांसद के नाम का खुलासा पुलिस ने अब तक नहीं किया है, सुसाइड नोट सामने आते ही ये मामला गरमाया और गया, साथ ही महाराष्ट्र पुलिस कटघरे में खड़ी हो गई। डॉक्टर के परिजनों के मुताबिक फलटण के डिप्टी एसपी और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को बेटी ने 21 बार संबंधित एएसआई व अन्य लोगों द्वारा परेशान किए जाने की लिखित शिकायत की थी।
लेकिन सवाल ये है कि पुलिस विभाग की तरफ से एक सरकारी डॉक्टर को परेशान क्यों किया जा रहा था और क्यों आत्महत्या करने वाली डॉक्टर लगातार अपने वरिष्ठ अधिकारियों से कह रही थी कि अगर मेरे साथ अन्याय नहीं रुका तो मैं आत्महत्या कर लूंगी। आखिर, ग्रामीण क्षेत्र में सेवा की एक माह बाद ही बॉन्ड अवधि पूरी करने से पहले वह क्यों आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर हो गई।
सुसाइड नोट में पीड़िता ने लिखा कि पुलिस अधिकारी उन्हें अभियुक्तों के लिए फर्जी फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने के लिए दबाव डालते थे। कई बार तो अभियुक्तों को मेडिकल जांच के लिए लाया भी नहीं जाता था। जब उन्होंने मना किया तो सब-इंस्पेक्टर गोपाल बदाने और अन्य लोग उन्हें परेशान करते थे।
उन्होंने नोट में कहा कि मेरी मौत का कारण सब-इंस्पेक्टर गोपाल बदाने है जिन्होंने मेरा बलात्कार किया और प्रशांत बानकर है जिन्होंने 4 महीने तक मुझे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। गोपाल बदाने एक पुलिस अधिकारी हैं, जबकि प्रशांत बानकर उस मकान के मालिक का बेटा है जहां डॉक्टर रहती थीं, बानकर को शनिवार रात गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि बदाने फरार है।
पीड़िता की चचेरी बहन ने भी इसी तरह के आरोप लगाए कि डॉक्टर को मेडिकल प्रमाण पत्र झूठे बनाने के लिए मजबूर किया जा रहा था। इसकी पुलिस अधीक्षक और उप-पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उन्होंने आगे कहा कि पत्र में उन्होंने पूछा था कि अगर उनके साथ कुछ हुआ तो कौन जिम्मेदार होगा ? उन्होंने अस्पताल परिसर में सुरक्षा की कमी को भी उजागर किया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ। उन्होंने डीएसपी को भी फोन किया था, जिन्होंने कहा था कि वह उन्हें वापस फोन करेंगे, लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की।
इस मामले में सतारा की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वैशाली कदुस्कर ने शनिवार को दुख जताते हुए कहा कि यदि डॉक्टर की शिकायतों पर समय रहते कार्रवाई की गई होती या उन्होंने अपनी परेशानियों को किसी से साझा किया होता, तो उनकी जान बचाई जा सकती थी, एक महिला पुलिस अधिकारी के तौर पर मैं इस घटना से व्यथित और दुखी हूं।
दूसरी ओर इस मामले में एक कहानी यह सामने आई कि कुछ महीने पहले मृत डॉक्टर के खिलाफ स्थानीय पुलिस थाने के पुलिस इंस्पेक्टर ने शिकायत दी थी, यह शिकायत जिला शल्य चिकित्सा पदाधिकारी के यहां दी गई थी।
यह भी पढ़ें:- रेप के बाद सुसाइड करने वाली डॉक्टर के भाई का सनसनीखेज खुलासा, कहा- झूठी रिपोर्ट बनाने…
शिकायत में कहा गया था कि जब पुलिसकर्मी पोस्टमार्टम के लिए इन डॉक्टर के पास जाते हैं तो यह डॉक्टर कभी कह देती थी कि वो बिजी है या फिर किसी आरोपी को गिरफ्तारी के बाद मेडिकल टेस्ट के लिए उनके पास ले जाया जाता था तो उसके मेडिकल रिपोर्ट पर यह नॉट फिट फॉर अरेस्ट लिख दिया करती थी, जिससे पुलिसकर्मियों को केस की जांच में दिक्कत आती थी।
पुलिस की शिकायत के बाद डॉक्टर ने भी पुलिसकर्मियों द्वारा प्रेशर डालने का आरोप लगाते हुए एक शिकायत सीनियर पुलिस अधिकारियों को किया था, हालांकि जिस पुलिस इंस्पेक्टर के खिलाफ शिकायत की गयी थी उसका फलटण ग्रामीण पुलिस थाने से ट्रांसफर हो चुका है।
जांच में पुलिस को यह बात हजम नहीं हो रही कि इतनी पढ़ी-लिखी डॉक्टर ने सुसाइड नोट अपने हाथ पर लिखा है। पुलिस हैंडराइटिंग एक्सपर्ट और फोरेंसिक एक्सपर्ट से जानने की कोशिश कर रही है कि क्या सचमुच में मृत डॉक्टर ने ही आत्महत्या करने से पहले अपने हाथ पर यह सुसाइड नोट लिखा है।






