पुरंदर एयरपोर्ट परियोजना (pic credit; social media)
Maharashtra News: लंबे समय से अटके पुरंदर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की राह आखिरकार आसान होती दिखाई दे रही है। परियोजना के लिए चल रही भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को अब बड़ी सफलता मिली है। सिर्फ छह दिनों में 1,100 से अधिक किसानों ने अपनी भूमि देने के लिए सहमति पत्र जमा कर दिए हैं। प्रस्तावित एयरपोर्ट के लिए कुल 2,800 एकड़ भूमि की जरूरत है, जिसमें से लगभग 50% हिस्से पर किसानों की स्वीकृति मिल चुकी है।
जिलाधिकारी जितेंद्र डूडी ने बताया कि किसानों की सहमति प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए जिला कलेक्ट्रेट और पुरंदर उपविभागीय कार्यालय में सुविधा केंद्र बनाए गए हैं। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जो किसान स्वेच्छा से जमीन देंगे, उन्हें उचित मुआवजे के साथ एरोसिटी के भीतर विकसित प्लॉट भी दिए जाएंगे। यह प्लॉट अधिग्रहित जमीन के 101% हिस्से के बराबर होंगे। यह कदम किसानों को लाभकारी पैकेज देकर अधिग्रहण प्रक्रिया को गति देने के उद्देश्य से उठाया गया है।
परियोजना के लिए लगभग 1,300 से अधिक “गट नंबरों” की भूमि का अधिग्रहण होना है। इसके लिए प्रशासन ने हाल ही में विशेष अभियान चलाकर 7/12 भूमि रिकॉर्ड को अपडेट किया है, ताकि जिन किसानों ने सहमति दी है, उनकी सही संख्या और विवरण उपलब्ध हो सके।
पुरंदर एयरपोर्ट परियोजना के लिए सात गांवों से भूमि ली जा रही है। इनमें सबसे अधिक हिस्सा पारगांव का है, जहां पहले अधिग्रहण का कड़ा विरोध हुआ था। हालांकि, पिछले एक साल से जिला प्रशासन लगातार भूस्वामियों से व्यक्तिगत स्तर पर संपर्क कर रहा है। विरोध और शंकाओं को दूर करने के लिए विशेष टीमें भी बनाई गई हैं। अधिकारियों का मानना है कि अब जब आधी से ज्यादा जमीन पर सहमति मिल चुकी है, तो शेष भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी सुचारू रूप से पूरी हो जाएगी।
इस तरह, दशकों से रुकी यह परियोजना अब वास्तविकता के करीब पहुंचती दिख रही है। प्रशासन को उम्मीद है कि किसानों और सरकार के सहयोग से यह एयरपोर्ट परियोजना जल्द ही जमीन पर आकार लेगी और पूरे पुणे क्षेत्र के लिए विकास का नया अध्याय खोलेगी।