नाबालिग का पिता विशाल अग्रवाल और क्षतिग्रस्त कार (फोटो: एएनआई)
पुणे. पुणे पोर्शे कार एक्सीडेंट केस में नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल को डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने शुक्रवार (21 जून) को जमानत दे दी है।कोर्ट ने पांच अन्य आरोपियों को भी जमानत दे दी है। इनमें दो बार के मालिक और मैनेजर भी शामिल हैं जिन्हें नाबालिग को शराब परोसने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
अग्रवाल को प्राथमिक मामले में जमानत दी, जहां उन पर किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 और 77 के तहत मामला दर्ज किया गया था। अग्रवाल के वकील प्रशांत पाटिल ने कहा, “मेरे मुवक्किल को पुणे के सत्र न्यायालय ने जमानत दे दी है। न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्तों का पालन करना उनका कर्तव्य है और वे जांच एजेंसी के साथ सहयोग करना जारी रखेंगे।”
My client has been granted bail by the Sessions Court in Pune. It is his duty to abide by the conditions imposed by the Court and shall continue to cooperate with the investigation agency: Advocate Prashant Patil, Lawyer of the father of the minor accused — ANI (@ANI) June 21, 2024
गौरतलब है कि गत 19 मई को रात 3 बजकर 15 मिनट पर नाबालिग कथित तौर पर नशे की हालत में तेज रफ्तार में पोर्श कार चला रहा था और उसने एक बाइक को टक्कर मार दी, जिससे पुणे के कल्याणी नगर में दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों- अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौत हो गई। 17 नाबालिग को किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) ने 15 घंटे के भीतर ही जमानत दे दी थी।
बोर्ड ने नाबालिग से सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने को कहा तथा आदेश दिया कि नाबालिग को उसके माता-पिता और दादा की देखभाल एवं निगरानी में रखा जाए। नाबालिग को चंद घंटों में जमानत मिलने के बाद देश भर में हंगामे के बीच, पुलिस ने जेजेबी से जमानत आदेश में संशोधन की अपील की। बोर्ड ने 22 मई को नाबालिग को हिरासत में लेने का आदेश दिया और उसे एक सुधार गृह में भेज दिया।
पुलिस ने इस मामले में नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल, कोसी और क्लब ब्लैक बार के मालिक और उसके स्टाफ के कुछ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। FIR के अनुसार, पिता को यह पता होने के बावजूद कि उसके बेटे के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है, उसने उसे कार दे दी, जिससे उसकी जान खतरे में पड़ गई और उसने उसे पार्टी करने की इजाजत भी दे दी जबकि उसे पता था कि उसका बेटा शराब पीता है। नाबालिग के माता-पिता ब्लड सैंपल बदलने के मामले में फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। इसके अलावा नाबालिग ने पिता को अपने ड्राइवर का अपहरण और बंधक बनाने के आरोप में भी गिरफ्तार किया गया था।
उधर, बंबई उच्च न्यायालय ने पुणे पोर्शे कार एक्सीडेंट को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और नाबालिग आरोपी को सुधार गृह में कैद में रखने पर सवाल खड़े किए। न्यायालय ने कहा कि नाबालिग आरोपी को पहले जमानत देना और फिर उसे हिरासत में ले लेना तथा सुधार गृह में रखना क्या कैद के समान नहीं है? न्यायालय ने पुलिस से यह भी पूछा कि कानून के किस प्रावधान के तहत नाबालिग आरोपी को जमानत देने के आदेश में संशोधन किया गया और उसे कैद में किस आधार पर रखा गया?
न्यायालय ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि दुर्घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी। दो लोगों की जान चली गई। (यह) बहुत दर्दनाक हादसा तो था ही, लेकिन बच्चा (किशोर) भी (मानसिक) अभिघात में था। (एजेंसी इनपुट के साथ)