
बॉम्बे हाई कोर्ट व DU के पूर्व प्रोफेसर हनी बाबू (सोर्स: सोशल मीडिया)
Former DU professor Hany Babu Bail: एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तारी के पांच साल से अधिक समय बाद, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर हनी बाबू को गुरुवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी। उन्हें जुलाई 2020 में गिरफ्तार किया गया था और वह नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद थे।
बॉम्बे उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति रंजीतसिंह भोसले की खंडपीठ ने हनी बाबू की जमानत याचिका स्वीकार कर ली। विस्तृत आदेश हालांकि अभी तक उपलब्ध नहीं है।
हनी बाबू ने अपनी जमानत याचिका मुख्य रूप से इस आधार पर दायर की थी कि उन्हें मुकदमे पर सुनवाई शुरू हुए बिना ही लंबे समय तक जेल में रखा गया है। उनके वकील युग मोहित चौधरी ने यह दलील दी कि आरोप अभी तक तय नहीं हुए हैं और उनकी रिहाई की अर्जी निचली अदालत में अभी भी लंबित है।
उच्च न्यायालय ने जमानत पर रोक लगाने के राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। एनआईए ने यह अनुरोध इसलिए किया था ताकि वह इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील दायर कर सके।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने हनी बाबू पर गंभीर आरोप लगाए थे। एनआईए का दावा है कि बाबू प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) संगठन के नेताओं के निर्देश पर माओवादी गतिविधियों और विचारधारा के प्रचार में सह-षड्यंत्रकारी थे। हनी बाबू को इस मामले में जुलाई 2020 में गिरफ्तार किया गया था।
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यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से जुड़ा हुआ है। पुलिस का दावा था कि इन भाषणों के परिणामस्वरूप अगले दिन शहर के बाहरी इलाके में कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के समीप हिंसा भड़क उठी थी। इस हिंसा के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई अन्य लोग घायल हुए थे।
इस मामले में 12 से अधिक कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों को आरोपी बनाया गया है। इस मामले की जांच शुरू में पुणे पुलिस ने की थी, लेकिन बाद में इसका जिम्मा एनआईए ने संभाल लिया था।






