
हर्षवर्धन सपकाल व सीएम देवेंद्र फडणवीस (डिजाइन फाेटो)
Maharashtra Politics On Election Postponed: महाराष्ट्र में 22 नगर परिषदों के अध्यक्ष पद के चुनाव स्थगित कर दिए गए हैं। पिछले दो हफ्तों से जहां प्रचार अभियान जोरों पर था, वहां अचानक चुनाव टलने से कार्यकर्ता और उम्मीदवार नाराज हो गए हैं। न्यायालयीन प्रक्रिया के कारण इन चुनावों को आगे बढ़ाने का दावा चुनाव आयोग कर रहा है।
जिन स्थानों के चुनाव स्थगित किए गए थे, वहां का नया चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है। इन जगहों पर 20 दिसंबर को मतदान होगा और 21 दिसंबर को मतगणना की जाएगी। बाकी स्थानों पर चुनाव निर्धारित समय के अनुसार 2 दिसंबर को ही संपन्न होंगे।
लेकिन चुनाव स्थगित करने के निर्णय पर जहां विपक्ष सत्ताधारी पार्टी और चुनाव आयोग की आलोचना कर रहा है तो वहीं इस फैसले को गैरकानूनी बताते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी गंभीर आपत्ति जताई है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोरात ने चुनाव आयोग के निर्णय की आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि पहले का चुनाव आयोग स्वतंत्र रूप से काम करता था, लेकिन अब आयोग कठपुतली की तरह सरकार के निर्देश पर फैसले ले रहा है।
चुनाव से एक दिन पहले उन्हें स्थगित करना, कुछ जगहों पर प्रक्रिया रोकना और कहीं पुरानी सूचियों से मतदान की तैयारी करना, इन कदमों से लोगों का आयोग पर से विश्वास डगमगा रहा है। विपक्ष का सवाल है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आरक्षण के संबंध में दिए गए स्पष्ट निर्देशों की आयोग अनदेखी कैसे कर सकता है?
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने आयोग के कामकाज को लेकर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि 20 नगरपालिकाओं और कुछ क्षेत्रों में चुनाव स्थगित करने का फैसला आश्चर्यजनक और समझ से परे है। उन्होंने आगे कहा कि अगर कोर्ट के फैसले से ये चुनाव स्थगित हुए हैं, तो यह फैसला 22 नवंबर को आया था। फिर 30 नवंबर तक यानी 8 दिनों तक चुनाव आयोग क्या सो रहा था?
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि चुनाव आयोग ने कानून की गलत व्याख्या की है। इन चुनावों को रद्द करना बेहद गलत है। इसका मतलब है कि अब कोई भी कोर्ट जाएगा और चुनाव स्थगित हो जाएंगे। ऐसा आज तक कभी नहीं हुआ है। चुनाव आयोग किस कानून का सहारा ले रहा है?
सीएम ने कहा कि आयोग किसकी सलाह ले रहा है, मुझे नहीं पता। लेकिन मेरे कानूनी अध्ययन और कुछ वकीलों से बात करने के बाद मैं कह सकता हूं कि इस तरीके से किसी व्यक्ति के कोर्ट जाने पर चुनाव स्थगित नहीं किए जा सकते हैं।
फडणवीस ने आगे कहा कि कई उम्मीदवारों की प्रचार की मेहनत बेकार हो गई। चुनाव आयोग भले ही स्वायत्त है लेकिन इस तरह का निर्णय लेना गलत है। सरकार इन आपत्तियों को लिखित रूप में चुनाव आयोग को सौंपेगी।
बीजेपी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण इसके विरोध में चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष रविंद्र चव्हाण ने राज्य चुनाव आयोग को निवेदन देकर मांग की है कि नगरपालिका चुनाव स्थगित करने का फैसला बदला जाए और पुराने कार्यक्रम के अनुसार ही चुनाव कराए जाएं।
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चव्हाण ने अपने निवेदन में कहा कि नगरपालिका और नगर पंचायत चुनावों का प्रचार अंतिम चरण में पहुंच गया था और पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 2 दिसंबर को मतदान होना था। लेकिन इनमें से कुछ चुनाव तकनीकी मुद्दों के आधार पर स्थगित कर दिए गए। इससे राज्य में 24 नगराध्यक्षों और 204 नगरसेवकों के चुनाव लटक गए हैं। यह फैसला सभी उम्मीदवारों के साथ अन्याय है।
नगरपालिका चुनाव नियम 1966, राज्य चुनाव आयोग के 4 नवंबर के पत्र और 29 नवंबर को दिए गए निर्देशों में समन्वय का अभाव है। जहां अपील का फैसला 26 नवंबर के बाद आया हो या उम्मीदवार खुद शपथ पत्र दे रहे हों, वहां चुनाव स्थगित न करके पुराने कार्यक्रम के अनुसार ही कराए जाएं।






