जैन ट्रस्ट की संपत्ति बिल्डर को बेचने के खिलाफ पुणे में बड़े पैमाने पर मार्च (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Pune District: सेठ हीराचंद नेमचंद जैन दिगंबर बोर्डिंग की एक प्रमुख संपत्ति निजी बिल्डर को बेचने के प्रस्ताव के खिलाफ जैन समुदाय के हजारों सदस्यों ने पुणे में विरोध प्रदर्शन किया।मॉडल कॉलोनी में लगभग 12,000 वर्ग मीटर (3.5 एकड़) में फैली इस आलीशान संपत्ति में कई दशक पुराना जैन बोर्डिंग हाउस और श्री भगवान महावीर दिगंबर जैन मंदिर स्थित है। ये दोनों ही 1958 में स्थापित एक धर्मार्थ न्यास ‘सेठ हीराचंद नेमचंद मेमोरियस ट्रस्ट’ का हिस्सा हैं।
पुणे में स्थित ‘गोखले कंस्ट्रक्शन्स’ ने ‘सेठ हीराचंद नेमचंद मेमोरियल ट्रस्ट’ से 311 करोड़ रुपये में यह संपत्ति खरीदी है। हालांकि, ‘जैन बोर्डिंग बचाव कृति समिति’ के बैनर तले प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि कुछ न्यासियों ने डेवलपर के साथ समझौता किया है और न्यास के संविधान का उल्लंघन करते हुए संपत्ति बेच दी है।
एचएनडी बोर्डिंग के पूर्व छात्र और ‘एसोसिएशन ऑफ एसएचएनडी हॉस्टल एलुमनाई’ (आशा) के निदेशक आनंद कंकरिया ने कहा, ‘‘धन की कमी और बोर्डिंग की जीर्ण-शीर्ण स्थिति का हवाला देते हुए न्यासियों ने न्यास विलेख में उल्लिखित वैकल्पिक विकल्पों पर विचार किए बिना संपत्ति को बेचने का निर्णय लिया और ऐसा करने की अनुमति के लिए धर्मादाय आयुक्त से संपर्क किया।”
उन्होंने कहा, ‘‘धर्मादाय आयुक्त ने न्यासियों की इस दलील पर पूरी तरह से भरोसा किया कि बोर्डिंग संरचना जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। इसके बाद बिक्री को मंजूरी दे दी गई। आशा ने संपत्ति की बिक्री की अनुमति देने वाले धर्मादाय आयुक्त के आदेश को मुंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। मामले में धर्मादाय आयुक्त, सेठ हीराचंद नेमचंद मेमोरियल ट्रस्ट, गोखले लैंडमार्क एलएलपी और महाराष्ट्र राज्य को प्रतिवादी बनाया गया है।”
कंकरिया ने बताया कि सेठ हीराचंद नेमचंद मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना 1958 में गरीबों को शिक्षा और चिकित्सकीय सहायता तथा छात्रों के लिए छात्रावास की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गई थी। आंदोलन के संयोजकों में से एक और महाराष्ट्र युवा कांग्रेस के महासचिव अक्षय जैन ने आरोप लगाया कि यह बिक्री अवैध है और इसे लेकर समुदाय के सदस्यों में आक्रोश है।
उन्होंने कहा, ‘‘आज बोर्डिंग परिसर से पुणे जिलाधिकारी कार्यालय तक एक विशाल रैली निकाली गई। हमने विवादित बिक्री को रद्द करने की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा। विरोध मार्च का नेतृत्व जैन मुनि आचार्य गुरुदेव श्री गुप्तिनंदजी महाराज, तीर्थेश ऋषिजी और माताजी महाराज ने किया।”
(एजेंसी इनपुट के साथ)