
भारतीय फार्मा निर्यात 2024-25 में 9.4% बढ़कर 30.47 अरब डॉलर पहुंचा (सोर्स-सोशल मीडिया)
Indian Pharma Export Growth: भारत के दवा क्षेत्र ने वैश्विक मंच पर अपनी मजबूती साबित करते हुए 2024-25 में निर्यात में शानदार बढ़त हासिल की है। वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल के अनुसार, इस साल देश का फार्मा निर्यात 9 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़कर नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है।
दुनिया भर के बाजारों में भारतीय दवाओं की बढ़ती मांग यह दर्शाती है कि भारत अब ‘विश्व की फार्मेसी’ के रूप में अपनी पहचान पुख्ता कर चुका है। सरकार की नई नीतियों और विनिर्माण क्षमता में सुधार ने इस क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विश्वसनीय भागीदार बना दिया है।
वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने हाल ही में आयोजित एक चिंतन शिविर के दौरान बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का दवा निर्यात 30.47 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। पिछले वर्ष के मुकाबले इसमें 9.4 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
इस सफलता के पीछे भारत का मजबूत विनिर्माण आधार और वैश्विक स्तर पर बढ़ता विस्तार प्रमुख कारण हैं। भारत वर्तमान में मात्रा के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा उत्पादक देश बन गया है, जो एक बड़ी उपलब्धि है।
भारत का घरेलू दवा बाजार इस समय लगभग 60 अरब डॉलर का है, लेकिन इसकी विकास यात्रा यहीं नहीं रुकने वाली है। नवाचार और क्षमता विस्तार को देखते हुए विशेषज्ञों का अनुमान है कि साल 2030 तक यह बाजार बढ़कर 130 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।
वर्तमान में भारत के पास 10,500 से अधिक विनिर्माण इकाइयां और 3,000 से अधिक कंपनियां सक्रिय हैं। साथ ही देश में 60 अलग-अलग चिकित्सीय क्षेत्रों में 60,000 से अधिक जेनेरिक ब्रांड उपलब्ध हैं जो दुनिया भर में सप्लाई किए जा रहे हैं।
भारतीय दवाओं की पहुंच आज दुनिया के 200 से अधिक देशों तक है। इनमें से 60 प्रतिशत से अधिक निर्यात उन विकसित देशों को होता है जहां दवा नियामक नियम बहुत सख्त हैं। भारत के कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी सबसे अधिक करीब 34 प्रतिशत है, जबकि यूरोपीय बाजारों का हिस्सा लगभग 19 प्रतिशत है।
यह आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि भारतीय दवाओं की गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरती है और दुनिया भर के मरीज इन पर भरोसा करते हैं।
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सरकार का मुख्य उद्देश्य छोटे और मध्यम उद्यमों यानी एमएसएमई को अंतरराष्ट्रीय व्यापार ढांचे के प्रति जागरूक करना है। चिंतन शिविर के माध्यम से निर्यातकों को नई नीतियों और क्षमता निर्माण की पहलों के बारे में जानकारी दी जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुसार, भारत को एक विश्वसनीय वैश्विक व्यापार भागीदार बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है ताकि पूरी दुनिया में किफायती और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच सकें। इससे न केवल निर्यात बढ़ेगा बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा में भी भारत की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।






