
पीएमआरडीए (सौ. सोशल मीडिया )
Pimpri Chinchwad News In Hindi: पुणे महानगर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (पीएमआरडीए) की महत्वाकांक्षी इंद्रायणी नदी पुनरुद्धार परियोजना चुनावी मौसम की भेंट चढ़ गई है।
राज्य में लगातार हो रहे महानगर पालिका, नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों के चलते परियोजना की महत्वपूर्ण टेंडर प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है, जिससे यह परियोजना अनिश्चितकाल के लिए ठप होने की कगार पर पहुंच गई है। यह परियोजना न केवल इंद्रायणी, चलिक मुला-मुठा और पवना नदियों के प्रदूषण को रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम थी।
न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के बाद पीएमआरडीए ने लोणावला से आलंदी तक 87 किलोमीटर क्षेत्र में प्रदूषण रोकने के लिए एक व्यापक सीवेज ट्रीटमेंट प्लान तैयार किया था। हालांकि, अब आचार संहिता के कारण इसका कार्यान्वयन रुक गया है।
इंद्रायणी नदी सुधार परियोजना का मुख्य उद्देश्य नदी संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण है। यह घरेलू और औद्योगिक सीवेज को नदी में जाने से रोकेगी और जल की गुणवत्ता में सुधार करेगी। यह परियोजना तीन चरणों में पूरी होनी है, जिसके तहत नदी के दोनों किनारों पर बसे 48 गांवों के लिए 39 एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) केंद्र बनाए जाने हैं।
परियोजना की कुल लागत 837 करोड़ रुपये है और इसके रखरखाव व संचालन की अवधि 15 वर्ष निर्धारित की गई है। वित्त पोषण केंद्र सरकार की एनआरसीडी और राज्य सरकार द्वारा 60:40 के अनुपात में किया जाएगा।
एसटीपी अर्बन क्षेत्र में लोणावला, तलेगांव, आलंदी, वडगांव और देहूरोड कैंटोन्मेंट में सर्वाधिक एसटीपी केंद्र बनाए जाने की योजना है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में कार्ला, वरसोली, जांभुल, सोलू, तुलापूर, नाणे, आंबी सहित 15 से अधिक गांवों के लिए स्वतंत्र एसटीपी केंद्र बनाने की योजना तैयार की गई है।
इंदुरी, कामशेत और कुसगांव बु। जैसे 15,000 से अधिक आबादी वाले गांवों को भी इस परियोजना का बड़ा लाभ मिलने वाला है। अर्बन क्षेत्रों में टेंडर प्रक्रिया पूरी तरह रुकी यह परियोजना 48 गांवों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
परियोजना का मुख्य हिस्सा लोणावला, तलेगांव, आलंदी और वडगांव नगर परिषद क्षेत्रों से होकर बहने वाली नदी पर केंद्रित है। इन्हीं क्षेत्रों में एसटीपी प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं, और यहीं की टेंडर प्रक्रिया चुनाव आचार संहिता के कारण पूरी तरह रुक गई है।
भविष्य में संभावित जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों की प्रक्रिया भी अटकने की संभावना है। पीएमआरडीए ने पहले ही आईआईटी रुड़की से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) का मूल्यांकन पूरा करवा लिया है, और एनआरसीडी की मंजूरी अंतिम चरण में है।
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इंद्रायणी नदी सुधार परियोजना की विभिन्न मंजूरियों के लिए प्रयास जारी है। चुनाथ समाप्त होते ही अर्थन क्षेत्रों की टेंडर प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाएगी। यह परियोजना 48 गांवों के लिए जीवनरेखा साबित होगी।
-डॉ योगेश म्हसे, महानगर आयुक्त, पीएमआरडीए






