
बिस्किट का पैकेट में एमआरपी अलग (सौजन्य-नवभारत)
Consumer Protection India: बिस्किट की एक बड़ी और नामी कंपनी के एक ही पैकेट पर दो अलग-अलग एमआरपी छपे होने का मामला सामने आया है। इस कारण दुकानदार और ग्राहक के बीच अक्सर विवाद की स्थिति बन रही है कि भुगतान किस दर से किया जाए। हैरानी की बात यह है कि गलती चाहे जिसकी भी हो, अंततः भुगतान तो ग्राहक को ही करना पड़ता है।
संबंधित दुकानदार ने बताया कि यह स्थिति न केवल उपभोक्ताओं के साथ अन्याय है, बल्कि छोटे दुकानदारों को भी असहज स्थिति में डाल देती है। ग्राहक अधिक एमआरपी को लेकर सवाल करता है, जबकि दुकानदार कंपनी की पैकिंग का हवाला देकर स्वयं को मजबूर बताता है। एक ही उत्पाद पर दो अलग-अलग एमआरपी होना उपभोक्ता संरक्षण कानून की भावना के भी खिलाफ है।
इस पूरे मामले में संबंधित विभागों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। अधिकारियों के पास इतनी फुर्सत नहीं दिखती कि वे ऐसी ‘छोटी’ लेकिन आम जनता से जुड़ी समस्याओं पर ध्यान दें। बड़े और मलाईदार मामलों को छोड़कर कौन इन चिल्लर मुद्दों में समय लगाए, ऐसी मानसिकता के कारण उपभोक्ताओं की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं।
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जब कभी कार्रवाई की नौबत आती भी है, तो उसका सारा बोझ छोटे दुकानदारों पर डाल दिया जाता है, जबकि असली जिम्मेदारी उत्पादन करने वाली कंपनी की होती है। एक ही उत्पाद पर दो एमआरपी छपी होना कोई सामान्य बात नहीं है, फिर भी इस पर सख्त कार्रवाई का अभाव चिंता का विषय है।
उपभोक्ताओं का कहना है कि इस तरह की गड़बड़ियों पर संबंधित विभागों को गंभीरता से संज्ञान लेकर कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ग्राहकों और दुकानदारों दोनों को इस तरह की अनावश्यक बहस और नुकसान से बचाया जा सके।






