प्रकाश आंबेडकर (फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया)
छत्रपति संभाजीनगर: मुंबई से शुरू हुई आरक्षण बचाओ यात्रा का बुधवार (7 अगस्त) को संभाजीनगर में समापन हुआ। यात्रा के समापन में प्रदेश भर से ओबीसी संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। छत्रपति संभाजीनगर में यात्रा के समापन के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रकाश आंबेडकर ने एकता की अपील की। उन्होंने कहा कि मराठा समुदाय ने अपने जाति के विधायक चुनकर लाने के लिए कमर कसी हैं। उससे आपको अपना आरक्षण खूंटी पर टांगना है। ये लड़ाई बड़ी है। आपको भी ओबीसी विधायक चुनने के लिए पूरी ताकत लगानी चाहिए। आगामी विधानसभा चुनाव में कम से कम 100 ओबीसी विधायक लाने का निश्चय करें। आप तय करें कि आपको आरक्षण चाहिए या नहीं।
जानकारी के लिए बता दें कि 25 जुलाई को मुंबई से शुरू हुई आरक्षण बचाओ यात्रा का बुधवार (7 अगस्त) को संभाजीनगर में समापन हुआ। यात्रा के समापन में प्रदेश भर से ओबीसी संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। प्रकाश आंबेडकर ने सभा को संबोधित करते हुए एकता की अपील की।
उन्होंने कहा आरक्षण अब कोई सामाजिक मुद्दा नहीं रह गया है बल्कि यह एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है। लेकिन कोई भी राजनीतिक भूमिका लेने तैयार नहीं है। लेकिन इसका समाधान होना ही चाहिए। यह कोई साधारण लड़ाई नहीं है। ओबीसी और उसका मिला आरक्षण बलि का बकरा है। मराठों के झगड़े में तुम बली चढ़ जाओगे। जरांगे पाटिल चुनाव में हिस्सा लें तो अच्छा रहेगा। इस बात का पता लगाए कि क्या महाराष्ट्र में लोकसभा के लिए चुने गए 31 सांसद एक-दूसरे के रिश्तेदार हैं। उन 31 में एक भी गरीब मराठा नजर नहीं आएगा। सरकारी योजनाओं में किसी को भी जमीन का मालिक नहीं देखा जाएगा। ये हैं मुगलई मराठा, यह इतिहास है। मराठों को राजनीति करने दीजिए।
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ओबीसी से मेरी अपील है कि आप बलि का बकरा न बनने का फैसला खुद करें । हम अपना राज्य निर्माण करेंगे, यह भाषा बोलना शुरू करें । अगर ऐसा करना है तो कम से कम 100 ओबीसी विधायक चुनकर आने चाहिए। यह निश्चय आप करें । उन्होंने निश्चय किया तो आपका आरक्षण खूंटी से बांधना तय है। आप भी अपने 100 विधायक चुनकर लाने का निश्चय करें। उन्होंने अपील की कि आरक्षण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को पढ़ा जाना चाहिए।
आरक्षण एक सामाजिक पार्टी है, यह राजनीतिक रंग न ले, इसलिए हमने यह यात्रा की। आज आरक्षण एक सामाजिक नहीं बल्कि एक राजनीतिक मुद्दा है, लेकिन कोई भी राजनीतिक रुख अपनाने को तैयार नहीं है। जरांगे पाटिल की दो मांगें हैं कि मराठा को ओबीसी से आरक्षण दे और सगे सोयरे को भी आरक्षण मिले। यदि राजनीतिक दलों ने इस संबंध में कोई रुख अपनाया होता तो महाराष्ट्र में जो हुआ वह नहीं होता। चूँकि राजनीतिक दलों ने कोई स्टैंड नहीं लिया, इसलिए समाज ने भूमिका ली है।
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आंबेडकर ने आरोप लगाया कि मनोज जरांगे ने आंदोलन कर आतंक की स्थिति पैदा कर दी। गांव में बंटवारा नहीं होता। पश्चिम महाराष्ट्र में भी यह विभाजन देखा जा रहा है। सबसे ज्यादा विभाजन मराठवाड़ा में है। मराठा कह रहे हैं कि हम ओबीसी उम्मीदवार को वोट नहीं देंगे। ओबीसी कह रहे हैं कि हम भी मराठाओं को वोट नहीं देंगे। 14 या 19 अगस्त को चुनाव को लेकर जरांगे की स्थिति पता चल जाएगी। उन्होंने चुनाव लडा तो राजनीतिक धार और अधिक तेज होगी। उस समय इस बात का ध्यान रखना होगा कि यह राजनीतिक बढ़त सामाजिक न बन जाए।