राज ठाकरे और रामदास आठवले (फोटो: ANI)
मुंबई. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे को आरक्षण पर दिए गए बनाया को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। इसी बीच केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने मंगलवार को ठाकरे पर निशाना साधा और कहा कि वह अपने ‘आरक्षण विरोधी’ बयान को वापस लें अन्यथा दलित और पिछड़े वर्ग आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में मनसे उम्मीदवारों का बहिष्कार करेंगे। आठवले ने कहा कि आरक्षण पर ठाकरे की टिप्पणी अनुचित थी।
ठाकरे की आलोचना करते हुए सामाजिक न्याय राज्य मंत्री आठवले ने कहा, “यदि वह अपनी टिप्पणी वापस नहीं लेते हैं तो दलितों, आदिवासियों और ओबीसी को विधानसभा चुनावों में मनसे उम्मीदवारों का बहिष्कार करना चाहिए।”
आरक्षणाच्या विरुद्ध घेतलेली भूमिका राज ठाकरे यांनी बदलावी. आरक्षणाची गरज नाही असे त्यांनी केलेले चुकीचे विधान मागे घ्यावे. त्यांनी जर आरक्षण विरोधी भूमिका कायम ठेवली तर विधानसभा निवडणुकीत राज ठाकरे यांच्या मनसे उमेदवारांवर दलित आदिवासी ओबीसी बहुजनांनी बहिष्कार घालावा. pic.twitter.com/iooSVdV4r1
— Dr.Ramdas Athawale (@RamdasAthawale) August 6, 2024
इससे पहले वंचित बहुजन आघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने ‘टाडा’ कानून की धारा लगा कर राज को जेल में डालने की मांग कर डाली। आंबेडकर ने कहा कि राज्य की महायुति सरकार को बिना किसी संकोच के कार्रवाई करने की की हिम्मत दिखानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र के लोग उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल में रहते हैं। गुजरात में भी मराठी लोग हैं, उनका क्या करें? राज समाज को बांटने वाले बयान दे रहे हैं। जब समाज बंटता है तो देश बंटता है। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून और यूएपीए के तहत कार्रवाई की जाए। इसे तुरंत रोका जाना चाहिए।
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गौरतलब है कि पंढरपुर शहर में पत्रकारों से बात करते हुए ठाकरे ने सोमवार को कहा था कि स्थानीय लोगों को नौकरी के अवसरों में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। मनसे प्रमुख ने कहा था, “मेरा रुख यह है कि स्थानीय लोगों को नौकरी के अवसरों में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसमें जाति क्यों एक कारक होनी चाहिए? अगर निजी क्षेत्र नौकरियां पैदा करना जारी रखता है, तो हमें इस बारे में सोचना चाहिए कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण से कितने लोगों को फायदा होगा।”
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ठाकरे ने यह भी कहा कि सभी समुदायों को यह समझना चाहिए कि वोट के लिए उन्हें मूर्ख बनाया जा रहा है। ठाकरे ने कहा था, “मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में एक व्यक्ति अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग), मराठा और अन्य समुदायों के विद्यार्थियों की जरूरतों की अनदेखी कर रहा है।” उनकी इस टिप्पणी का मराठा आरक्षण आंदोलन से जुड़े लोगों ने विरोध किया। (एजेंसी इनपुट के साथ)