सुप्रिया सुले, तुषार भोसले (pic credit; social media)
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में 15 अगस्त को कुछ महानगर पालिका क्षेत्रों में मांस बिक्री पर लगी पाबंदी अब राजनीतिक विवाद का रूप ले चुकी है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सांसद और शरद पवार की पुत्री सुप्रिया सुले ने बयान देकर सियासत को और गर्मा दिया है। सुले ने कहा—“मैं मांसाहारी खाना खाती हूं और मेरे पांडुरंग को इससे कोई आपत्ति नहीं है। हम अपने पैसों से खाते हैं, किसी और के पैसों से नहीं। तो फिर आपको क्या दिक्कत है?”
सुले का यह बयान वारकरी समुदाय (भगवान विठ्ठल के अनुयायी) के अपमान के रूप में देखा जा रहा है। बीजेपी ने इसे तुरंत मुद्दा बनाते हुए उन पर हमला बोला। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वारकरी स्वयं उन्हें इसका जवाब देंगे। वहीं, बीजेपी के आध्यात्मिक मोर्चा प्रमुख तुषार भोसले ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा “यदि आप वारकरी परंपरा का सम्मान नहीं कर सकतीं, तो कम से कम उसका अपमान भी न करें।”
तुषार भोसले ने आरोप लगाया कि सुप्रिया सुले का बयान जानबूझकर वारकरी समाज की भावनाओं को आहत करने वाला है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की संस्कृति और परंपरा पर ऐसी टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बीजेपी इसे सामाजिक और धार्मिक आस्था से जोड़कर आक्रामक हो गई है।
इधर, शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राऊत ने सुप्रिया सुले का समर्थन किया और बीजेपी व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर जोरदार हमला बोला। राऊत ने सवाल उठाया—“क्या फडणवीस शाकाहारी हैं?” उनका तंज था कि मुख्यमंत्री ब्राह्मण समाज से आते हैं, लेकिन व्यक्तिगत खानपान की आदतों पर राजनीति करना गलत है।
सुप्रिया सुले के बयान से शुरू हुआ यह विवाद अब सीधे वारकरी परंपरा और धार्मिक भावनाओं से जुड़ गया है। एक ओर बीजेपी इसे आस्था का मुद्दा बता रही है, तो दूसरी ओर विपक्ष इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और खानपान की आज़ादी से जोड़ रहा है। आने वाले दिनों में यह विवाद और बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।