महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोर्हे (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान मंगलवार को विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी (MVA) को बड़ा झटका लगा। विपक्ष द्वारा विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोर्हे के खिलाफ दिए गए अविश्वास प्रस्ताव को स्पीकर राम शिंदे ने निरस्त कर दिया है। इससे गोर्हे को बड़ी राहत मिली है।
अपने विवादित बयानों के कारण पिछले कुछ समय में कई बार चर्चा में आई उपसभापति नीलम गोर्हे ने बीते सप्ताह दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर मर्सीडीज के बदले अपनी पार्टी शिवसेना (यूबीटी) में पद बांटने का सनसनीखेज आरोप लगाया था। जिसके बाद शिवसेना (यूबीटी) सहित महा विकास अघाडी (MVA) में शामिल सभी दल भड़क गए थे।
विपक्ष ने सदन में अराजकता फैलाने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए उपसभापति गोर्हे के खिलाफ संयुक्त रूप से विधान सचिव के समक्ष अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया था।
विपक्ष का कहना था कि अपने विवादास्पद बयानों के कारण गोर्हे ने सदन का विश्वास खो दिया है। विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने इस संबंध में विधान परिषद के अध्यक्ष को पत्र लिखा था। उन्होंने पत्र में कहा था कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 183 (सी) और एमवीपी नियम 11 के अनुसार, हम निम्नलिखित प्रस्ताव का नोटिस दे रहे हैं।
महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोर्हे को उपसभापति के पद से हटा दिया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने सदन का विश्वास खो दिया है। हालांकि, स्पीकर राम शिंदे ने मंगलवार को नीलम गोर्हे के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इसके बाद विपक्ष ने सदन में काफी हंगामा मचाया।
बता दें कि एमएलसी के तौर पर अपना चौथा कार्यकाल पूरा कर रहीं नीलम गोर्हे को एक समय उद्धव ठाकरे का विश्वासपात्र माना जाता था। शिवसेना में 2022 में विभाजन के बाद उन्होंने शुरुआत में ठाकरे का साथ दिया लेकिन बाद में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गई। तब से शिवसेना (यूबीटी) नेताओं और गोर्हे के बीच संबंधों में कटुता आ गई है।
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जून 2022 में शिवसेना में उठे विद्रोह के बाद शिवसेना के विभाजन के कुछ समय बाद नीलम गोर्हे एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हो गई थी। इस बीच, दानवे ने यह भी पूछा कि क्या साहित्यिक सम्मेलनों का इस्तेमाल राजनीतिक आरोप लगाने के लिए इस तरह से करना उचित है।