उपसभापति नीलम गोरहे (सोर्स: एक्स@neelamgorhe)
मुंबई: विधान परिषद के उपसभापति डॉ. नीलम गोरहे नेने मांग की है कि महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार तुरंत ठोस उपाय लागू करे। उन्होंने यह भी महत्वपूर्ण सुझाव भी दिया है कि किसानों की आत्महत्या को रोकने के लिए कृषि क्षेत्र की समस्याओं के त्वरित समाधान का सरकार को प्रयास करना चाहिए। आत्महत्या से प्रभावित परिवारों को तत्काल और पर्याप्त वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए।
कृषि व्यवसायों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करनी चाहिए तथा उनके बच्चों को मुफ्त शिक्षा, आवास व चिकित्सा बीमा प्रदान करना चाहिए। उन्होंने राजस्व एवं वन विभाग के साथ-साथ कृषि एवं बागवानी विभाग के मंत्रियों को भेजे एक बयान में इस गंभीर स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित किया है।
डॉ. गोरहे ने कहा कि किसानों की आत्महत्या में वृद्धि के पीछे मुख्य कारण ऋणग्रस्तता, फसल उत्पादन में गिरावट, अपर्याप्त सिंचाई सुविधाएं, वित्तीय सहायता की कमी और कृषि आय में उतार-चढ़ाव हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार को इन समस्याओं के समाधान के लिए तत्काल निर्णय लेने की आवश्यकता है।
कृषि क्षेत्र की कार्यप्रणाली में सुधार लाने तथा नये प्रयोगों एवं प्रौद्योगिकियों के आधार पर किसानों की आय बढ़ाने के लिए नीतियां बनाई जानी चाहिए। इसी प्रकार, उन्होंने यह भी कहा कि आत्महत्या करने वाले किसानों के उत्तराधिकारियों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता बढ़ाई जानी चाहिए तथा पात्रता मानदंडों में ढील दी जानी चाहिए ताकि अधिकतम लाभार्थियों को इसका लाभ मिल सके।
डॉ. गोरहे ने कहा कि राज्य सरकार ने 2025-26 के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए विभिन्न योजनाएं प्रस्तावित की हैं। इसमें कृषि क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का उपयोग, जलयुक्त शिवार अभियान 2।0, गाद मुक्त बांध-गाद युक्त शिवार योजना, मुख्यमंत्री बलिराजा मुफ्त बिजली योजना और कृषि सिंचाई परियोजनाओं के लिए पर्याप्त वित्तीय प्रावधान शामिल हैं।
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हालांकि, इन योजनाओं को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित किया जाना चाहिए। उन्होंने मांग की है कि आत्महत्या प्रभावित परिवारों को घरकुल योजना के तहत मकान उपलब्ध कराए जाएं। इसके साथ-साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि आत्महत्या से प्रभावित परिवारों में मनोवैज्ञानिक संकट को रोकने के लिए उन्हें विशेषज्ञ संगठनों के माध्यम से या प्रशिक्षित मार्गदर्शकों की मदद से परामर्श दिया जाना चाहिए।