
सिंहस्थ कुंभ मेला (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Kumbh News: आगामी सिंहस्थ कुंभमेला 2027 को ध्यान में रखते हुए, त्र्यंबकेश्वर स्थित प्रसिद्ध नील पर्वत के पीछे मौजूद बिल्व तीर्थ का संरक्षण और जीर्णोद्धार किया जाएगा. इस ऐतिहासिक धरोहर की देखरेख पुरातत्व एवं वस्तु संग्रहालय निदेशालय, नाशिक विभाग द्वारा की जाएगी.
पुरातत्व विभाग, नाशिक के सहायक निदेशक ने इस कार्य के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी है. बिल्व तीर्थ को असंरक्षित स्मारकों के संरक्षण और मरम्मत कार्य के तहत संरक्षित किया जाएगा. इसके लिए प्राचीन ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने हेतु बड़ा फंड उपलब्ध कराया जाएगा. बिल्व तीर्थ, जो त्र्यंबकेश्वर देवस्थान के अंतर्गत आता है, पहले से ही चारों ओर से सुरक्षा जाली से घिरा हुआ है. इस पुराने तालाब का निर्माण पत्थरों से किया गया है.
यह तीर्थस्थल नाग टेकरी और आसपास के पहाड़ों से वर्षा ऋतु में आने वाले पानी का मुख्य स्रोत है. यह स्थान अत्यंत सुंदर और प्राकृतिक है. कुंभमेला प्रशासन पहले ही इस तालाब का निरीक्षण कर चुका है. 22 अक्टूबर 2023 को सूर्यग्रहण के अवसर पर, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरगिरीजी महाराज की पहल पर पहली बार अखाड़ों के साधु-महंतों ने बिल्व तीर्थ में ग्रहण पर्व स्नान किया था. इस स्नान में श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के साधु-महंत शामिल हुए थे. बिल्व तीर्थ एक विशाल और भव्य तालाब है.
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जहां एक ओर पुरातत्व विभाग तीर्थ के संरक्षण पर ध्यान दे रहा है, वहीं इससे जुड़ी एक बड़ी समस्या भी सामने आई है. बिल्व तीर्थ तक जाने वाले रास्तों की हालत बहुत खराब है. आस-पास की आवासीय बस्ती त्र्यंबकेश्वर नगर पालिका से जुड़ी हुई है, लेकिन पिछले 10 वर्षों से किसी ने भी इन सड़कों की मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया है. यह जीर्णोद्धार कुंभमेला 2027 से पहले त्र्यंबकेश्वर की एक महत्वपूर्ण धार्मिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.






