
प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स : सोशल मीडिया)
Nashik Municipal Corporation Election 2026: नाशिक राज्य चुनाव आयोग द्वारा महाराष्ट्र की 29 महानगरपालिकाओं के चुनाव की तारीख़ 15 जनवरी 2026 घोषित होते ही शहरों में सियासी हलचल चरम पर पहुंच गई है।
इस घोषणा के साथ ही संबंधित शहरों में आदर्श आचार संहिता तुरंत प्रभाव से लागू हो गई है। सोमवार सुबह ही मंत्री गिरीश महाजन ने घोषणा की कि महानगरपालिका का चुनाव महायुति के रूप में लड़ा जाएगा। इससे महायुति में शामिल तीनों दलों के नेताओं के सामने सीट बंटवारे का सवाल खड़ा हो गया है।
वहीं, महाविकास आघाड़ी भी एकजुट होकर चुनाव लड़ेगी या अलग-अलग उम्मीदवार उतारेगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है। उनके सामने भी सीट शेयरिंग की चुनौती होगी। इस चुनाव में महायुति बनाम महाविकास आघाड़ी की सीधी टक्कर होगी या सभी दल स्वतंत्र रूप से मैदान में उतरेंगे, यह आने वाले कुछ दिनों में साफ हो जाएगा।
नाशिक मनपा की कुल 122 सीटों के लिए यह चुनाव होगा। इससे पहले 2017 में हुए चुनाव में भाजपा ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ते हुए पूर्ण बहुमत हासिल किया था। वहीं विपक्ष में अविभाजित शिवसेना ने 35 सीटें जीती थीं।
हालांकि अब शिवसेना में विभाजन हो चुका है, लेकिन 35 में से 30 से अधिक नगरसेवक शिंदे गुट में हैं। भाजपा में भी अन्य दलों के कुछ नगरसेवक शामिल हो चुके हैं। इस चुनाव में ठाकरे गुट प्रमुख विपक्षी दल रहेगा।
दोनों में ही महत्वपूर्ण और जीतने योग्य प्रभागों पर सभी दलों ने दावा ठोका है। मध्यवर्ती इलाके, नई बस्तियों वाले प्रभाग और पारंपरिक रूप से मजबूत क्षेत्रों पर दोनों ओर से दावेदारी बनी हुई है।
स्थानीय पदाधिकारियों ने अपने-अपने नेतृत्व पर दबाव बढ़ा दिया है और कम सीटें मिलने पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की चेतावनी भी पहले ही दी जा चुकी है। इसलिए आने वाले दिनों की राजनीतिक घटनाओं पर बहुत कुछ निर्भर करेगा।
सीट शेयरिंग के पेच के कारण नाशिक का राजनीतिक तापमान बढ़ गया है और चुनाव घोषित होने से पहले ही मतदाताओं में भारी उत्सुकता दिखाई दे रही है। पार्टी के भीतर असंतोष और प्रभागों में गुटबाजी के चलते अंतिम सूची तैयार करना और भी मुश्किल होगा-ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है।
नाशिक में कुल 122 सीटें है। भाजपा ने 100 प्लस का नारा दिया है। इस चुनाव में शिवसेना शिंदे गुट ने 45 सीटों की मांग की है, जबकि राष्ट्रवादी (अजित पवार गुट) 11 से 15 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कर रहा है। ऐसे में यदि गठबंधन के लिए 50 सीटें भी छोड़नी पड़ीं, तो भाजपा के केवल 72 सीटों पर लड़ने की संभावना कम ही है।
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पिछली बार भाजपा के 66 नगरसेवक अपने दम पर जीतकर आए थे, जिसके बाद अन्य दलों के कुछ नगरसेवक भाजपा में शामिल हो गए। इसलिए इच्छुक उम्मीदवारों की संख्या अधिक होने के कारण सीट शेयरिंग भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण है।
| वर्ष | कुल मतदाता |
|---|---|
| 2017 | 10.73 लाख |
| 2025 | लगभग 13,60,722 |
| वृद्धि | करीब 26% |
| वर्ग | संख्या |
|---|---|
| पुरुष मतदाता | 7,03,968 |
| महिला मतदाता | 6,56,675 |
| अन्य | 79 |
| कुल | 13,60,722 |
| वर्ग | कुल सीटें | महिला आरक्षण |
|---|---|---|
| महिला (कुल) | 61 | — |
| अनुसूचित जाति (SC) | 18 | 9 |
| अनुसूचित जनजाति (ST) | 9 | 5 |
| अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) | 32 | 16 |
| सामान्य वर्ग | 63 | 31 |
| कुल | 122 | 61 |
| वर्ष | मतदान केंद्र |
|---|---|
| 2017 | 1,407 |
| 2025 (अनुमानित) | 1,775 – 1,800 |
| विवरण | संख्या |
|---|---|
| कुल प्रभाग | 31 |
| कुल नगरसेवक | 122 |
| 4 सदस्यीय प्रभाग | 29 |
| 3 सदस्यीय प्रभाग | 2 |
| चरण | तिथि |
|---|---|
| नामांकन दाखिल | 23 दिसंबर – 30 दिसंबर |
| स्क्रूटनी | 31 दिसंबर |
| नाम वापसी की अंतिम तिथि | 2 जनवरी |
| चुनाव चिन्ह व अंतिम सूची | 3 जनवरी |
| मतदान | 15 जनवरी |
| मतगणना | 16 जनवरी |
8 वर्षों में मतदाताओं की संख्या में 26% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
महिलाओं के लिए 50% सीटें आरक्षित हैं।
बढ़ती मतदाता संख्या के चलते मतदान केंद्रों की संख्या में भी वृद्धि की जा रही है।






