सांक्तिक तस्वीर (Image- social Media)
Nashik News: राज्य की आदिवासी शासकीय आश्रमशालाओं में अभी भी पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध न होने से छात्रों की पढ़ाई पर गंभीर असर पड़ा है। शैक्षणिक वर्ष शुरू हुए तीन महीने बीत चुके हैं और अक्टूबर में पहली सत्र परीक्षा होनी है, लेकिन अंग्रेजी, मराठी और गणित जैसे महत्वपूर्ण विषयों के लिए शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। इससे छात्रों के ज्ञान में भारी कमी हो रही है।
आदिवासी विकास विभाग ने 10 जून 2025 से राज्यभर की आश्रमशालाओं में कार्यरत रोज़ंदारी शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी थी। इसके विकल्प के रूप में विभाग ने 1,799 पदों को बाहरी स्रोतों से अनुबंध पद्धति पर भरने का निर्णय लिया। हालांकि, इस भर्ती प्रक्रिया को बेहद कम प्रतिसाद मिला है। दूसरी ओर, शिक्षक कमी के कारण अभिभावकों में आदिवासी विभाग के कामकाज के खिलाफ रोष बढ़ता जा रहा है।
विभाग ने अनुबंध पर भर्ती का ठेका श्री छत्रपति शिवाजी महाराज स्वयंरोजगार सेवा संस्था को दिया है। अब तक 485 शिक्षकों को नियुक्ति आदेश जारी किए गए हैं, लेकिन अधिकांश शिक्षक आदेशों को ठुकराकर काम पर हाजिर नहीं हो रहे हैं। कई शिक्षक मांग कर रहे हैं कि उन्हें पूर्ववत रोज़ंदारी तत्व पर ही सेवा में लिया जाए।
आदिवासी विभाग का दावा है कि शिक्षक चरणबद्ध तरीके से जॉइन कर रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर सबूत सामने आ रहे हैं कि कई शिक्षक नियुक्ति स्वीकार नहीं कर रहे हैं। हाल ही में विभाग ने रोज़ंदारी शिक्षक संघटना को बाहरी स्रोत भर्ती में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन संघटना ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और अपना विरोध कायम रखा।
ये भी पढ़े: एनडीए का बड़ा ऐलान! शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे को मिला उपराष्ट्रपति चुनाव में खास रोल
राज्य में फिलहाल 499 आश्रमशालाएँ हैं, जिनमें 3,675 स्थायी शिक्षक कार्यरत हैं। इसके अलावा 1,918 रोज़ंदारी शिक्षकों की सेवा समाप्त होने से लगभग 3,000 से अधिक शिक्षकों पर छात्रों के शैक्षणिक भविष्य की जिम्मेदारी आ पड़ी है।