शिरसाट के बाद भुजबल बरसे अपनी सरकार पर। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नासिक: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अजित पवार गुट के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल ने नासिक कुंभ मेले की गतिविधियों को लेकर राज्य की महागठबंधन सरकार की कड़ी आलोचना की।
नासिक में मीडिया से बातचीत करते हुए भुजबल ने सिंहस्थ के लंबित कार्यों पर अपनी नाराजगी जाहिर की। नगर आयुक्त का नाम लिए बिना भुजबल ने नगर निगम की 16,000 करोड़ रुपये की सिंहस्थ योजना के बारे में बात की। उन्होंने पूछा कि इतनी राशि कौन देगा।
आगामी सिंहस्थ के लिए नई बाईपास सड़कें बनाने की योजना बनाई गई है, लेकिन पता नहीं भूमि अधिग्रहण कब होगा, फंड कब मिलेगा, काम कब होगा। मूल रूप से आंतरिक और बाहरी बाईपास सड़कें बनकर तैयार हैं। जहां-जहां खराब हैं, उन्हें ठीक किया जा सकता है। गोदावरी नदी की सफाई हो जाए तो भी सिंहस्थ कुंभ मेला अपने आप अच्छा हो जाएगा। ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है।
नासिक-त्र्यंबकेश्वर और शिरडी जाने वाली सड़क भी तैयार है। गोदावरी नदी के घाट तैयार हैं। सफाई और व्यवस्थाएं स्थापित करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। लेकिन भुजबल ने बताया कि कई लोगों का ध्यान सिंहस्थ के काम के टेंडर पर है। स्थानीय स्तर पर वर्तमान में कुछ अधिकारी अपने कर्तव्यों को भी नहीं जानते हैं। उन्हें अभी लाया और लगाया गया है। सफाई, अतिक्रमण हटाना, पैदल यात्रियों और वाहनों को रोकने वालों के खिलाफ कार्रवाई जैसे सरल काम भी नहीं हो पाते हैं, भुजबल ने प्रशासनिक अधिकारियों की भी आलोचना की।
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कृषि मंत्री कोकाटे का नाम लिए बिना भुजबल ने नासिक जिला बैंक के प्रशासकों पर इस्तीफा देने के लिए हमला बोला। उन्होंने कहा कि जिला बैंक को हर हाल में बचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक नेताओं को अपने छोटे-मोटे स्वार्थों को किनारे रखना चाहिए। उन्हें सिर्फ इस बारे में सोचना चाहिए कि बैंक को कैसे बचाया जाएगा। जिस तरह से वसूली को रोका गया। ब्याज माफ करने का सुझाव दिया गया। इससे वसूली प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हुई। भुजबल ने दावा किया कि प्रशासकों ने इसलिए इस्तीफा दिया क्योंकि उन्हें लगा कि वे लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएंगे।
मुख्यमंत्री द्वारा घोषित 100 दिवसीय कार्यक्रम में जिले में किसी भी विभाग का प्रदर्शन उजागर न होने के मुद्दे पर भुजबल ने प्रशासनिक अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया। चूंकि नासिक में कोई संरक्षक मंत्री नहीं है, इसलिए कोई भी काम बाधित नहीं होता। क्योंकि प्रशासनिक व्यवस्था ही योजना बनाने और उसे लागू करने वाली होती है। अधिकारियों को अच्छी तरह से काम करना चाहिए। वे अस्पष्ट जवाब देते हैं। पहले अगर कोई हाथ में चाकू ले लेता था, तो पूरे गांव में चर्चा होती थी, लेकिन अब यह आदत बन गई है। भुजबल ने संकेत दिया कि इसमें जिला कलेक्टर, पुलिस आयुक्त, नगर आयुक्त की भूमिका महत्वपूर्ण है।