प्रतिमा का गिरना शिवाजी महाराज का अपमान नहीं (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा गिरने से राज्य की राजनीति गरमाई हुई है। विपक्षी दलों ने राज्य सरकार की आलोचना की और काम की गुणवत्ता पर सवाल उठाए। साथ ही सत्ताधीश शिंदे सरकार की इस्तीफे की मांग कर रहा है। घटना को लेकर शिवभक्तों में भी आक्रोश देखने को मिल रहा है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता नारायण राणे ने मंगलवार को कहा कि इस घटना को मराठा शासक का अपमान नहीं कहा जा सकता।
प्रतिमा गिरने की घटना का जिक्र करते हुए शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि उसने मूर्ति के निर्माण में जल्दबाजी की और गुणवत्ता पर ध्यान देने तथा शिवाजी महाराज के प्रति सम्मान की अपेक्षा चुनावी लाभ को प्राथमिकता दी। आदित्य ठाकरे ने इस घटना को शिवाजी महाराज का घोर अपमान बताया और भाजपा नीत सत्तारूढ़ गठबंधन से जवाबदेही की मांग की।
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भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने कहा कि इस घटना को मराठा योद्धा राजा का अपमान नहीं कहा जा सकता। घाटकोपर में दही हांडी कार्यक्रम में राणे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘क्या यह अपमान का मामला है? क्या भारत में ऐसी घटना पहली बार हुई है? पूरी इमारतें ढह गई हैं। कांग्रेस के 65 साल के शासन के दौरान ऐसी कई दुर्घटनाएं हुई हैं।” पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘मैं कल (प्रतिमा गिरने वाली जगह पर) जाऊंगा। मैंने जिलाधिकारी के साथ बैठक की है और विस्तृत जानकारी लूंगा।”
जानकारी के लिए बता दें कि सिंधुदुर्ग जिले के एक किले में मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा सोमवार को ढह गई। इस प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। लेकिन महज 8 महीने पहली प्रतिमा ढहने को लेकर लोगों में आक्रोश नजर आ रहा है। घटना के बाद, विपक्षी दलों ने शिंदे सरकार की कड़ी आलोचना की और काम की गुणवत्ता पर कम ध्यान देने का आरोप लगाया ।
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