नागपुर की फोरेंसिक लैब।
नागपुर: क्षेत्रीय न्याय सहायक वैज्ञानिक प्रयोगशाला के माध्यम से किया जा रहा कार्य न्याय की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। चूंकि नागपुर के प्रायोगिक विद्यालय में प्रतिवर्ष लगभग 40 हजार मामले निपटाए जाते हैं, यह प्रणाली और प्रयोगशाला एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
इस प्रयोगशाला के सशक्तिकरण के लिए संबंधित मंत्रालयों एवं एजेंसियों ने सुजाता सौनिक ने प्रयोगशाला का दौरा किया और कार्य की समीक्षा की। प्रयोगशाला के उपनिदेशक डॉ. वी. जे. ठाकरे ने प्रायोगिक विद्यालय तथा वहां आयोजित विभिन्न परीक्षणों के बारे में जानकारी दी।
प्रत्येक वर्ष 40,000 मामलों में से लगभग 300 मामले पशुओं और वन्यजीवों से संबंधित होते हैं। साइबर मामले यहां आते हैं। यह प्रयोगशाला सभी प्रकार के परीक्षण करने में सक्षम है, ऐसी जानकारी डॉ. ठाकरे ने मुख्य सचिव सुजाता सौनिक को दी।
मोबाइल फोरेंसिक वैन की अवधारणा नागपुर से विकसित की गई है। अब इसका विस्तार राज्य स्तर तक हो गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर पर विशेष ध्यान दिया है। उन्होंने बताया कि 5 नई मोबाइल फोरेंसिक वैन उपलब्ध करा दी गई हैं।
बता दें कि फोरेंसिक विज्ञान वह विज्ञान है जिसका प्रयोग अपराधों की जांच में किया जाता है। जब कोई अपराध होता है, तो उस स्थान (अपराध स्थल) पर कई प्रकार के साक्ष्य और निशान छोड़ दिए जाते हैं। ये संकेत या सबूत कुछ भी हो सकते हैं, बिल्कुल कुछ भी। जैसे- पेंट, खून, मिट्टी, अपराधी या अज्ञात पीड़ित की लार, भौतिक तत्व, डिजिटल साक्ष्य, हड्डियां, दस्तावेज, उंगलियों के निशान आदि।
यदि किसी अपराध स्थल पर किसी भी प्रकार का कोई साक्ष्य या निशान पाया जाता है, जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, तो फोरेंसिक विज्ञान रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और भौतिकी का उपयोग करके उस साक्ष्य को खोजने और उसकी समीक्षा करने के लिए जिम्मेदार है। अपराधियों को पकड़ने में फोरेंसिक विज्ञान प्रमुख भूमिका निभाता है। साथ ही, इस वैज्ञानिक रूप से पुष्ट साक्ष्य के आधार पर अदालत में अपराधियों को सजा दिलाने का काम भी फोरेंसिक विज्ञान की मदद से किया जाता है, यानी फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।