
कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
Nagpur Division 14: नागपुर के प्रभाग-14 में कुछ 10 प्रतिशत झोपड़पट्टी का हिस्सा छोड़ दिया जाए तो 90 प्रतिशत हिस्सा या तो पूर्ण रूप से विकसित है या फिर यह क्षेत्र सिविल लाइंस के अंतर्गत आता है। काफी क्षेत्र सरकारी अधिकार क्षेत्र का होने के कारण आम तौर पर यहां किसी तरह की समस्या नहीं होती है। फिर भी पार्षद के रूप में कुछ जिम्मेदारियां थीं जिससे मनपा द्वारा मिलने वाली निधि और मुख्यमंत्री से मिली मदद के माध्यम से यहां करोड़ों का विकास हुआ है। इसके बावजूद लोगों को अच्छी सेवा-सुविधाएं प्रदान करते रहने का प्रयास जारी होने की जानकारी प्रभाग-14 के पूर्व पार्षदों ने दी।
पूर्व पार्षद प्रगति पाटिल ने कहा कि रविनगर जैसे इलाके में बगीचा तैयार किया गया है। किंतु रविनगर वसाहत में बिजली के खंभों की हालत खराब थी। पीडब्ल्यूडी के अधिकार क्षेत्र में होने के बाद भी काम नहीं होता था। ऐसे में यह हिस्सा मनपा को हस्तांतरित कराया गया और वर्तमान में यहां से बिजली की समस्या खत्म हो गई।
4 वर्ष पार्षद नहीं रहने के बाद भी लोगों की सेवा में निरंतर जुटे हुए हैं। पूर्व पार्षद कमलेश चौधरी ने कहा कि प्रभाग में कुल 32 करोड़ के काम किए हैं। जलवाहिनी, सीमेंट की सड़के, रिटेनिंग वॉल, सीवरेज, डीपीडीसी निधि से काम और डीपी रोड जैसै कामों को अंजाम दिया है।
एक ओर जहां पार्षदों की ओर से करोड़ों का विकास करने का दावा किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहे विपक्षी खेमे के प्रत्याशियों का मानना है कि यहां के मध्यम वर्ग को न्याय नहीं मिला है। केवल सिविल लाइंस जैसे विकसित क्षेत्र में ही विकास होता रहा है।
नागपुर शहर में लोगों को मालिकी पट्टे देने का ढिंढोरा पीटा जाता है, जबकि प्रभाग में स्थित गिट्टीखदान, रामगिरी, धोबीनगर, फुटाला जैसी कुछ झोपड़पट्टियां हैं जहां अब तक गरीब और मध्य वर्ग को मालिकी पट्टे नहीं मिल पाए हैं। प्रभाग-14 के पार्षदों के लिए इन सीमित झुग्गी झोपड़पट्टी में काम करने का अच्छा मौका था किंतु इसे भी पूरा नहीं किया गया।
सिविल लाइंस में काफी महंगी और उच्च वर्ग की शिक्षा संस्थाएं हैं जहां झोपड़पट्टियों के बच्चे जा नहीं सकते हैं। यहां पर एकमात्र मनपा की स्कूल को खंडहर बना दिया गया था जिससे वर्षों तक बच्चों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ा है किंतु किसी भी पार्षद का इस ओर ध्यान नहीं गया। शिक्षा और स्वास्थ्य को महत्व देने वाले जनप्रतिनिधियों को मौका दिया जाना चाहिए।
| जीतने वाले प्रत्याशी | वोट्स | दूसरे नंबर के प्रत्याशी | वोट्स |
|---|---|---|---|
| शिल्पा धोटे | 11,583 | राजेश्वरी राव | 8,176 |
| प्रमोद कौरती | 11,588 | सरस्वती सलामे | 10,773 |
| कमलेश चौधरी | 12,375 | विनोद कन्हेरे | 11,237 |
| प्रगति पाटिल | 10,001 | तिलोत्तमा किनखेड़े | 8,098 |
कांग्रेस :- देवेन्द्र रोटोले, नितिन माहुरे, संजय किनखेडे, सत्यम सोडगीर, ऋषि कारूंडे, अजय साखरे, सुकेशनी डोंगरे, करुणा घरडे, प्रिया उइके, अंजना मडावी, मुन्ना वर्मा।
भाजपा :- शिल्पा धोटे, प्रमोद कौरती, सुनील अग्रवाल, गोपाल बावनकुले, बाबा दादूरिया, योगिता तेलंग, बबली तिवारी, प्रगति पाटिल, किसन गावंडे।
बसपा :- प्रीति उरकुडे, अलका शेंडे, कीर्ति इंगले, अशोक यादव।
वर्ष 2017 के आम चुनाव में प्रभाग-14 से भाजपा के 3 तथा कांग्रेस का एक प्रत्याशी चुनकर आया था जिससे अब तीनों पार्षदों की ओर से दावेदारी की जा रही है। किंतु यहां पर पहले से एक वरिष्ठ पूर्व पार्षद ने टिकट के लिए मोर्चा खोल रखा है।
जानकारों की मानें तो इन वरिष्ठ पूर्व पार्षद को टिकट मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में भले ही अनुशासन के नाम पर कोई खुलकर विरोध न करे लेकिन इसका नुकसान निश्चित ही पार्टी को उठाना पड़ सकता है।
यह भी पढ़ें:- नागपुर मनपा का महासंग्राम: बसपा-कांग्रेस की एंट्री से दिलचस्प होगी प्रभाग 5 की चुनावी जंग
इसी तरह से प्रभाग-14क से हार चूके भाजपा के प्रत्याशी फिर चुनाव लड़ने के मूड में हैं। ऐसे में भाजपा को यहां पर मुश्किल होने की संभावना है। इसी तरह से कांग्रेस में भी बगावती तेवर देखने को मिल रहे हैं जिससे पार्टी को सबसे पहले इससे जूझना पड़ सकता है।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो भले ही केंद्र और राज्य में सत्ता होने के कारण स्थानीय नेता महानगरपालिका में भी जीत का दावा कर रहे हों लेकिन लंबे समय से मनपा में सत्ता से दूर रहने के बावजूद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में उत्साह की कोई कमी नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी भले ही कांग्रेस को कम आंक रही हो किंतु उसमें टिकट के लिए लंबी कतार लगी हुई है। एक ओर यह कांग्रेस के लिए सकारात्मक भी है किंतु प्रभाग में टिकट केवल 4 लोगों को मिलना है। ऐसे में यहां भी बगावती तेवर देखने को मिल सकते हैं।
इसके अलावा वर्ष 2017 के चुनाव में प्रभाग-14 के आंकड़ों को देखा जाए तो एक सीट पर कांग्रेस मात्र 815 वोटों से हारी है, जबकि दूसरी सीट पर 1,903 वोट से तो हारी है लेकिन यहां पर बसपा ने 2,426 और निर्दलीय ने भी 2,271 वोट प्राप्त किए थे जिस वजह से किनखेड़े को हार का मुंह देखना पड़ा था।






