हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
Nagpur News: किसानों को योजना का लाभ दिलाने के नाम पर उनसे खेती के 7/12, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और फोटो जैसे दस्तावेज लेकर कथित 51 करोड़ की धोखाधड़ी होने का आरोप लगाते हुए मधुकर गायकवाड ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके आधार पर पुलिस द्वारा मामला दर्ज किया गया।
इस मामले से डिस्चार्ज करने के लिए नूतन राकेश सिंह और राकेश सिंह ने पहले जिला सत्र न्यायालय में आवेदन दायर किया किंतु अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा 13 जून 2022 को आवेदन ठुकरा दिया गया। इसके खिलाफ सिंह दम्पति ने हाई कोर्ट में आपराधिक पुनरीक्षण अर्जी (सीआरए क्रमांक 238/22 और 239/22) दायर की थी जिस पर सुनवाई के बाद 23 जून 2025 को हाई कोर्ट ने दोनों को मामले से डिस्चार्ज (दोषमुक्त) कर दिया था।
अब सिंह दम्पति ने इस संदर्भ में विचाराधीन अधिसूचना को रद्द करने का मांग करते हुए फौजदारी रिट याचिका दायर की है। इस पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने आदेशों के अनुसार कुर्क सम्पत्ति को डी-नोटिफाई करने की प्रक्रिया क्यों नहीं की गई? इस संदर्भ में जवाब दायर करने का आदेश जांच अधिकारी को दिया।
सीआरए क्रमांक 238/22 और 239/22 पर कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले में बताया गया कि गायकवाड की रिपोर्ट के आधार पर मामला दर्ज किया गया जिसमें आरोप लगाया गया है कि सिंह दम्पति ने सह-अभियुक्त नीलेश धोरपे के माध्यम से सरकारी योजनाओं के तहत लाभ सुनिश्चित करने के बहाने किसानों से 7/12, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और तस्वीरें प्राप्त कीं।
उसके बाद धोखाधड़ी से ऋण आवेदन तैयार किए गए जिनमें दिखाया गया कि किसान वित्तीय सहायता मांग रहे हैं। आरोप लगाया गया कि राकेश सिंह ने किसानों का प्रतिनिधित्व किया कि वह और उनकी पत्नी गारंटर के रूप में खड़े थे और उन्होंने 58 धोखाधड़ी वाले ऋण मामले तैयार किए।
सीआरए पर फैसले के अनुसार अभियोजन पक्ष का यह भी मामला है कि योजना में नेशनल कोलेटरल मैनेजमेंट सर्विसेज लिमिटेड कंपनी (एनसीएमएसएल) द्वारा जारी प्रमाणपत्र के अधीन गोदाम में संग्रहीत उत्पाद की सुरक्षा पर कर्ज स्वीकृत करने की कल्पना की थी। आरोपों के अनुसार, कॉरपोरेशन बैंक और एनसीएमएसएल के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से सिंह दम्पति और सह-अभियुक्त किसानों के खातों में 25,11,68,500 रुपये की राशि हस्तांतरित करने में सफल रहे।
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जाली दस्तावेजों की मदद से उक्त किसानों के खातों से ‘जगदंबा गोदाम’ से 17,89,00,500 रुपये का खाद्यान्न जारी किया। दोनों राशियां उनके खातों और सिंह दम्पति के कुछ दिखावटी कर्मचारियों और करीबी रिश्तेदारों के खातों में स्थानांतरित कर दी गईं। धोखाधड़ी से वितरित की गई कुल राशि 51,49,56,057/- रुपये थी और केवल 7,16,20,000 रुपये की राशि ही बरामद की गई। अभियोजन पक्ष ने भले ही दोषमुक्त करने का कड़ा विरोध किया किंतु कानून में प्रदत्त प्रावधानों का हवाला देते हुए कोर्ट ने दोनों को दोषमुक्त कर दिया था।