सुनील तटकरे (File Photo)
नागपुर. राष्ट्रवादी कांग्रेस अजीत पवार गुट के प्रदेशाध्यक्ष सुनील तटकरे ने कहा कि फूले-शाहू-आंबेडकर के धर्मनिरपेक्ष विचारों के साथ राज्य के विकास के लिए हम एनडीए में शामिल हुए हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत पवार के नेतृत्व में हम आगे बढ़ रहे हैं. राज्य की जनता हमारे साथ है. उन्होंने कहा कि 2014 में शरद पवार ने भाजपा को बाहर से समर्थन घोषित किया था तब बीजेपी ने समर्थन नहीं मांगा था. उसके बाद 2019 के चुनाव में भाजपा-शिवसेना युति में सीएम पद को लेकर नहीं बनी तब भी राकां के सारे विधायक बीजेपी के साथ जाने को तैयार थे लेकिन शिवसेना के साथ सरकार में गए. अब अगर हम भाजपा के साथ चले गए तो इसमें गलत क्या है. वे मीट द प्रेस में बोल रहे थे. तटकरे ने राज्यव्यापी दौरा शुरू किया है जिसकी शुरुआत नागपुर से की.
उन्होंने नागपुर शहर व जिले के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की सभा लेकर गांव-गांव तक लोगों के घर पहुंचने और उन्हें सरकार में शामिल होने के निर्णय और आगे अजीत पवार के नेतृत्व में क्या कार्य किए जाएंगे इसकी जानकारी देने हेतु मार्गदर्शन दिया. इस दौरान महिला आयोग अध्यक्ष रूपाली चाकणकर, राजेन्द्र जैन, शहराध्यक्ष प्रशांत पवार, जिलाध्यक्ष शिवराज बाबा गुजर, आभा पांडे, ईश्वर बालबुधे, विशाल खांडेकर सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे.
तटकरे ने कहा कि अजीत पवार के विचारों के साथ पार्टी ‘घड़ी वही, वक्त नया’ पर कार्य करते हुए नया महाराष्ट्र गढ़ने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने कहा कि गठबंधन में भिन्न विचारधारा होते हुए भी लोग एकत्र आते हैं. हम भी दादा के नये विचारों के साथ सज्ज होकर कार्य में जुट गए हैं. उन्होंने कहा कि एक अजीत पवार ही थे जो मविआ सरकार में डीसीएम रहते हुए कोरोना काल में भी मंत्रालय जाकर कार्य करते थे. उन्होंने बताया कि शहर व जिले के पदाधिकारियों की मुलाकात उन्होंने डीसीएम देवेन्द्र फडणवीस से करवाई है ताकि जनता के लिए कार्य करते हुए उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो.
तटकरे ने कहा कि लोकसभा चुनाव में एनडीए के साथ चुनाव लड़ा जाएगा. राज्य में 45 प्लस सीटों का टारगेट रखा गया है. उन्होंने कहा कि सीटों के बंटवारे पर महायुति के नेताओं की बैठक में ही निर्णय होगा. सीट निहाय आकलन करके ही निर्णय लिया जाएगा. बगावत के आरोपों पर उन्होंने पूर्व मंत्री अनिल देशमुख का नाम लिए बगैर कहा कि बंगले वाले नेता हमें निष्ठा न सिखाएं. आत्मकेन्द्रित राजनीति के कारण ही यहां पार्टी का विस्तार नहीं हो पाया. केवल अपनी सीटें जीतने के अलावा जो कुछ नहीं कर सकते वे अजीत पवार पर कुछ न ही बोलें. सुप्रिया सुले द्वारा उन्हें संसद में ‘ते खासदार’ कहकर निरूपित करने के सवालों पर तटकरे ने कहा कि मैं बचपन से ही टिपटाप रहता हूं. अच्छे कपड़े पहनता हूं यह आजी ने सिखाया था. बलूतेदार हूं, शायद इसलिए संसद रत्न मेरा उपहास करती होंगी. वे लंबे समय से राजनीति में हैं, उन्हें गुस्सा क्यों आता है नहीं मालूम लेकिन मेरी नीयत और मन साफ है.
आरक्षण को लेकर भाजपा के खिलाफ मराठों में नाराजी है, इसका आगामी चुनाव में राकां पर भी विपरीत असर पड़ सकता है. इस पर तटकरे ने कहा कि मराठों को आरक्षण मिलना ही चाहिए और ओबीसी को धक्का नहीं लगना चाहिए, यह महायुति चाहती है. सीएम रहते हुए देवेन्द्र फडणवीस ने मराठा आरक्षण दिया था. बाद में वह सुप्रीम कोर्ट में टिक नहीं पाया लेकिन अब टिकने वाला आरक्षण देने के लिए काम किया जा रहा है. राज्य की जनता को यह मालूम है कि आरक्षण देने की नीयत किसकी है और किसकी नहीं. उन्होंने कहा कि अजीत पवार ने अल्पसंख्यक समाज को शैक्षणिक आरक्षण देने के संदर्भ में कदम उठाया है. पदाधिकारियों की सभा में मंत्री धर्मरावबाबा आत्राम, सुबोध मोहिते, अनिल अहिरकर भी उपस्थित थे.