नागपुर न्यूज
Nagpur News: नागपुर जिले के वाड़ी संभाग में हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण गवई पर न्यायालय के अंदर वकील सुरेश किशोर द्वारा जूता फेंकने का प्रयास किया गया। यह घटना न केवल न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र और संविधान पर सीधा हमला मानी जा रही है। इस निंदनीय घटना के बाद देशभर में तीखी प्रतिक्रियाएं देखी जा रही हैं।
नागपुर जिले के वाड़ी क्षेत्र सहित ग्रामीण इलाकों में भी समाज के विभिन्न तबकों, राजनीतिक व सामाजिक संगठनों तथा नागरिकों ने तीव्र विरोध दर्ज किया है। इसमें अनिल बाजाईत (तेली समाज संगठना) ने कहा, वर्तमान में न्यायालय ही संविधान और देश की रक्षा की आखिरी आशा है। यह घटना जनतंत्र पर सीधा आघात है। सुनील पांडे (ट्रांसपोर्ट व्यवसायी) ने कहा, सभ्य समाज में इस प्रकार का व्यवहार अस्वीकार्य है।
विरोध के लिए संवैधानिक मार्ग अपनाना चाहिए। कल्पना सगदेव (पूर्व सभापति, वाड़ी नगरपालिका) ने कहा, देश में सभी धर्मों के लोग रहते हैं, धर्म रक्षा के नाम पर ऐसी हरकतें अनुचित हैं। शैलेश थोराने (कांग्रेस, वाड़ी शहर अध्यक्ष) ने कहा, यह हमला केवल व्यक्ति पर नहीं, बल्कि देश के संविधान और न्याय प्रणाली पर है। गवई जी का संयम और शांति आदर्श है। संतोष नरवाडे (जिला अध्यक्ष, सामाजिक न्याय विभाग-राष्ट्रवादी कांग्रेस) बोले, दलित और पिछड़ा वर्ग अब संविधान के आधार पर आगे बढ़ रहा है।
ऐसे प्रयासों से यह समाज डरने वाला नहीं है। अनिल पारखी (मनसे, वाड़ी) ने कहा, 21वीं सदी में भी कुछ लोग अपनी सोच नहीं बदल पाए हैं, यह देश के लिए दुर्भाग्य की बात है। प्रकाश कोकाटे (अध्यक्ष, नागपुर तहसील कांग्रेस कमेटी) ने मांग की, इस तरह की विकृत मानसिकता रखने वालों के खिलाफ केंद्र सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। राकेश अग्रवाल (ट्रांसपोर्टर्स) बोले, सीजेआई का पद सर्वोच्च है। धार्मिक नारेबाजी कर ऐसी हरकत करना कट्टरपंथ का प्रतीक है। गवई की क्षमा की भावना प्रेरणादायक है।
सुधाकर सोनपिपले (बसपा) ने कहा, सनातन धर्म कुछ वर्गों को धर्म के आधार पर तुच्छ मानता है। सीजेआई गवई का आचरण सभी के लिए आदर्श है। मधु मानके पाटिल (शिवसेना, वाड़ी) ने कहा, वकील सुरेश का यह कृत्य केवल न्यायपालिका नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की जनता का भी अपमान है। दिवाकर पाटने (शिवसेना, हिंगना-काटोल) बोले, अगर वकील होकर भी उसे कानूनी विरोध के मार्ग नहीं मालूम तो ऐसी घटनाओं पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।
एड. राहुल सोनटक्के ने कहा, डॉ. आंबेडकर के संविधान से ही वह वकील बना है। जानबूझकर किया गया यह कृत्य निंदनीय है। डॉ. संजय टेकाडे (प्राचार्य) ने कहा, न्यायालय पर विश्वास देश की आखिरी उम्मीद है। इस घटना पर संयमित प्रतिक्रिया देना गवई का बड़प्पन है। डॉ. बिपलव मजुमदार (व्यवसायी, दत्तवाडी) बोले, भावनाओं में आकर किया गया यह व्यवहार पूर्ण रूप से अनुचित है।
शिकायत के लिए संविधान में अनेक मार्ग उपलब्ध हैं। मोहन ठाकरे (राष्ट्रवादी व्यापार आघाड़ी) ने कहा, स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी कुछ लोगों में संविधान प्रेम नहीं आ सका, यह बेहद चिंताजनक है। सुजित नितनवरे (भाजपा अनुसूचित जाति आघाड़ी) ने कहा, एक दलित व्यक्ति सर्वोच्च पद पर है, यह कुछ लोगों को स्वीकार नहीं। यह उनकी सोच का स्तर दिखाता है।
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सोनिया वानखडे (वंचित बहुजन आघाड़ी) ने कहा, जातिवादी दृष्टिकोण से न्याय प्रणाली को दूषित करना पूरी तरह अनुचित है। दिनेश बन्सोड (पूर्व जिप सदस्य) ने कहा, डॉ. आंबेडकर ने समानता के लिए संविधान बनाया था। ऐसे घटनाएं समाज को पीछे ले जाती हैं। मुकेश ढोमने (उपसरपंच, फेटरी) ने कहा, सीजेआई गवई की माता का आरएसएस के कार्यक्रम में न जाना इस संघर्ष की भावना को दर्शाता है।