
कई स्कूल रहे बंद, मिला-जुला असर (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Teachers strike Nagpur: राज्य में स्कूलों से जुड़ी कई लंबित मांगों पर ध्यान आकर्षित कराने के लिए विभिन्न शिक्षक संगठनों द्वारा किए गए स्कूल बंद आंदोलन का मिला-जुला असर देखने को मिला। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बड़ी संख्या में स्कूल बंद रहे, वहीं शहर में कई विद्यालय खुले रहे। राज्यभर में यही स्थिति देखने को मिली। स्थानीय निकाय, अनुदानित एवं बिना अनुदानित स्कूलों के शिक्षक और कर्मचारियों ने आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की।
शिक्षा संचालक द्वारा एक दिन का वेतन काटने की चेतावनी के बावजूद शिक्षकों ने आंदोलन जारी रखा। उनकी प्रमुख मांगों में शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ रिव्यू पिटीशन, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, शिक्षक सेवक योजना बंद करने, नियमित वेतनमान लागू करने तथा नॉन-टीचिंग स्टाफ की भर्ती प्रक्रिया तुरंत शुरू करने जैसे मुद्दे शामिल रहे।
ग्रामीण क्षेत्रों में आंदोलन का विशेष प्रभाव रहा, जबकि शहर के कई स्कूल खुले रहे लेकिन अधिकतर शिक्षकों की अनुपस्थिति के कारण अध्यापन बाधित हुआ। नियमित शिक्षक अवकाश पर रहे तो शिक्षण सेवकों ने व्यवस्थाएँ संभालने की कोशिश की। संगठनों का कहना है कि सरकार की नीतियाँ शिक्षा क्षेत्र के लिए नुकसानदायक हैं तथा संच-मान्यता नियमावली से ग्रामीण मराठी माध्यम स्कूलों पर अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
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पूर्व शिक्षक विधायक नागो गाणार ने कहा कि “स्कूल बंद आंदोलन के माध्यम से शिक्षकों ने सरकार के निर्णयों का विरोध दर्ज कराया है। संच-मान्यता पर उचित निर्णय नहीं लिया गया है। वेतन कटौती की चेतावनी से शिक्षक डरने वाले नहीं। संघर्ष के बिना मांगें पूरी नहीं होतीं।”






