समृद्धि महामार्ग पर लूम अलर्ट (सौजन्य-नवभारत)
Samruddhi Mahamarg: विदर्भ के लिए वरदान साबित हो रहे समृद्धि महामार्ग पर दुर्घटनाएं कम तो हुई हैं पर रुकी नहीं हैं। इस वजह से समृद्धि महामार्ग पर यात्रा करते वक्त भय बना रहता है। यदि दुर्घटनाओं के कारणों का पता लगाया जाए तो वे अलग हैं और उनके समाधान व जागरूकता भी पैदा की गई है। इस वजह से दुर्घटनाओं पर कुछ हद तक अंकुश लग सका है।
समृद्धि महामार्ग पर दुर्घटनाओं के 2 मुख्य कारण देखे गए – कुछ दूर गाड़ी चलाने के बाद चालक का सम्मोहन और सीमेंट की सड़क पर गाड़ी के पहियों का गर्म होना। अब चालक कुछ दूर गाड़ी चलाने के बाद कहीं रुकता है, पेट्रोल भरवाता है, चाय पीता है तो उसका सम्मोहन खत्म हो जाता है। इसके अलावा कुछ देर रुकने के बाद पहिये भी ठंडे हो जाते हैं।
समृद्धि महामार्ग पर दिन में यात्रा करने से दुर्घटनाएं कम होने लगी हैं। रात में प्रवास करते समय 75 से 100 किलोमीटर तक बिजली की बत्तियां नहीं जलतीं। इसलिए सड़क पर अंधेरा रहता है। जब कोई चालक वाहन की हेडलाइट चालू करता है तो उसे आस-पास के होर्डिंग्स और सड़क के बीच में लगीं बड़ी वस्तुएं दिखाई नहीं देतीं। वे बहुत पास आने पर दिखाई देती हैं जिससे चालक का ध्यान भंग नहीं होता। इस कारण वह अधिक से अधिक सम्मोहित होने लगता है जिससे उसे नींद आ जाती है और यही दुर्घटनाओं का कारण बनता है।
राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. संजय ढोबले ने छात्रा खुशबू सिंह और एमबीए की छात्रा नामिका शेख के साथ मिलकर एक मॉडल तैयार किया है। इसे ‘लूम अलर्ट’ नाम दिया गया है। इसमें पेट्रोल पंप से 50 किलोमीटर दूर एक गेट दिया गया और एलईडी लाइटों का गुच्छा लगाया गया है। गेट के दोनों तरफ हर 10 मीटर पर लाल, नीले और हरे एलईडी लाइट पेड़ की तरह लगाए गए।
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इस प्रकाश योजना को ‘लूम अलर्ट’ नाम दिया गया। जब ड्राइवर लंबी दूरी से यहां आएगा तो उसका ध्यान भटकेगा और वह सम्मोहन से मुक्त होकर इस रोशनी वाले गेट से गुजरेगा। वहीं सड़क के दूसरी तरफ भी ऐसा ही रोशनी वाला गेट होगा। इससे ड्राइवर दो से पांच किलोमीटर तक पूरी तरह से रोशनी वाले वातावरण से गुजरेगा और उसकी नींद खुल जाएगी।
डॉ. संजय ढोबले और उनकी शोध टीम की खुशबू सिंह और नामिका शेख ने बताया कि सड़क के हर 100 किलोमीटर पर दोनों तरफ ऐसी ही प्रणाली लगाई जानी चाहिए। इससे रात में लंबे समय तक अंधेरे में गाड़ी चलाने पर उसे सम्मोहन का शिकार नहीं होना पड़ेगा। इस शोध दल को उम्मीद है कि इससे दुर्घटनाएं निश्चित रूप से रुकेंगी। इस मॉडल को अंतरराष्ट्रीय पेटेंट भी प्राप्त हुआ है।